बारिश के लिए अंधविश्वास ग्रामीणों ने मासूम बच्चियों को निर्वस्त्र कर गांव घुमाया, राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग ने दिए कार्रवाई के आदेश.. जानें – पूरा मामला

न्यूज डेस्क : सोशल मीडिया पर आए दिन कोई न कोई खबर ट्रेडिंग में चलती रहती है। कोई खबर मनोरंजन से संबंधित होती है, तो कोई खबर धर्म और सम्मान से जुड़ा हुआ। लेकिन, इसी बीच आज हम आपको जो खबर बताने जा रहे हैं, जिसे जानने के बाद आप भी अपने आप को शर्मसार महसूस करेंगे। और आप सोचेंगे, आखिर हमारा समाज किस ओर अग्रसर हो रहा है। तो चलिए बिना किसी देरी के आपको उस खबर से रूबरू करवाते हैं। दरअसल, जो खबर हम आपको बताने जा रहे हैं। वह मध्य प्रदेश जिले के दमोह जिले अंतर्गत एक गांव से आया है। जहां, गांव में बारिश नहीं होने की वजह से गांव वालों ने इंद्र भगवान को खुश करने के लिए एक कुप्रथा के तहत 6 बच्चियों को निर्वस्त्र करके उन्हें पूरे गांव घुमाया। ताकि, भगवान खुश होकर उस गांव में भारी बारिश करवा दें।

अधिकारियों ने मामले को संज्ञान में लिया और जांच के आदेश दिए: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने इस मामले में संज्ञान लिया है, और जिला प्रशासन से इस घटना की रिपोर्ट की मांग की। वहीं इस घटना के संबंध में अधिकारियों ने बताया बुंदेलखंड क्षेत्र के दमोह जिला मुख्यालय से करीब 50 KM दूर जबेरा थाना क्षेत्र के बनिया गांव में रविवार को यह घटना हुई। DM एस कृष्ण चैतन्य ने मामले को लेकर कहा कि एनसीपीसीआर को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। पुलिस को सूचना मिली थी कि स्थानीय प्रचलित कुप्रथा के तहत बारिश के देवता को खुश करने के लिए कुछ नाबालिग लड़कियों को नग्न कर घुमाने का काम किया गया था।आगे उन्होंने कहा कि पुलिस इस घटना की जांच कर रही है और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

मान्यता, है कि ऐसा करने से बारिश हो जाती है: ग्रामीणों का मानना है कि यह प्रथा अपनाने से बारिश हो सकती है। बताते चलें कि गांव में सूखे की स्थिति के चलते बारिश ना होने के कारण पुरानी मान्यता के मुताबिक गांव की छोटी-छोटी बच्चियों को नग्न कर उनके कंधे पर मूसल रखा जाता है, और इस मूसल में मेंढक को बांधने की प्रथा है। बच्चियों को पूरे गांव में घुमाते हुए महिलाएं पीछे-पीछे भजन करती हुई जाती हैं और रास्ते में पड़ने वाले घरों से यह महिलाएं आटा, दाल या अन्य खाद्य सामग्री मांगते हैं और जो भी खाद्य सामग्री एकत्रित होती है उसे गांव के ही मंदिर में भंडारा के माध्यम से पूजन किया जाता है।