डॉक्टर विकास दिव्य कीर्ति की UPSC में आई थी इतनी रैंक – तुरंत ले लिए था फिर ये बड़ा फैसला

डेस्क : सबसे कठिन परीक्षा UPSC की तैयारी में देश में कई युवा जुटे रहते हैं। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि ये अपनी जिंदगी का आधा हिस्सा इस परीक्षा में तैयारी में ही लगा देते हैं। हालांकि, कुछ युवाओं को इसमें सफलता मिल जाती है और वे IPS, IFS, IAS जैसे बड़े अधिकारी बनते हैं। लेकिन वही कुछ को सफलता के लिए निरंतर प्रयास करना पड़ता है। आप भी अगर इस परीक्षा की तैयारी में जुटे हैं तो जाहिर है कि इंटरनेट पर उपलब्ध सभी स्टडी मटेरियल जरूर पढ़ते या देखते होंगे। सभी सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर हमें इस परीक्षा से जुड़े कई सारे वीडियो मिल जाते हैं।

आपको इन वीडियो में से किसी ना किसी वीडियो में डॉ विकास दिव्यकीर्ति भी नजर आ जाएंगे। जी हां, वही विकास दिव्यकीर्ति जिनके पढ़ाने के अंदाज से आज के दौर में हर युवा प्रेरित होता है।उनका हर विषय को पढ़ाने का अंदाज बड़ा ही निराला है। युवाओं को उनका सेंस ऑफ ह्यूमर भी काफी पसंद आता है।

दरअसल ‘दृष्टि आईएएस’ कोचिंग इंस्टीट्यूट के संस्थापक डॉ विकास दिव्यकीर्ति हैं। हरियाणा में जन्में दिव्यकीर्ति के माता-पिता दोनों हिंदी साहित्य के प्रोफेसर रह चुके हैं और यही कारण था कि बचपन से उन्हें हिंदी के प्रति लगाव रहा है। अब चाहे दर्शनशास्त्र हो, मनोविज्ञान हो, सिनेमा अध्ययन हो, सामाजिक मुद्दे और राजनीति विज्ञान में उनकी रुचि है। हिंदी साहित्य में दिल्ली यूनिवर्सिटी से एमए, एमफिल और पीएचडी के अलावा उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय और भारतीय विद्या भवन से अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद के रूप में पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया है।

उन्होंने व्यावसायिक जीवन की शुरुआत दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य से की थी और फिर इसके बाद पहले ही प्रयास में उन्होंने साल 1996 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की। तब उन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय में नियुक्ती मिली। लेकिन डॉ दिव्यकीर्ति वहां ज्यादा काम नहीं कर पाए और एक साल बाद ही नौकरी से उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद साल 1999 में दिल्ली के मुखर्जी नगर में ‘दृष्टि आईएएस’ कोचिंग इंस्टीट्यूट की स्थापना की। इसके साथ ही इसकी ब्रांचेस देश के कई शहरों जैसे कि प्रयागराज और जयपुर में भी शुरु की। यहां उनकी पत्नी डॉ तरुण वर्मा भी कोचिंग संस्थान की निदेशक हैं।

आपको बता दें कि हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए डॉ विकास दिव्यकीर्ति ने लंबी लड़ाई लड़ी। वहीं यूपीएससी ने जब CSAT यानी कि सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट लागू किया था तब डॉ दिव्यकीर्ति का साथ आंदोलन कर रहे छात्रों को मिला। उनका मानना है कि सैट मॉडल आंसर आज भी केवल अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध हैं। छात्रों को पढ़ने के लिए हिंदी या किसी अन्य भाषा में सामग्री बहुत कम है। इसका अनुवाद नहीं होने से कभी-कभी छात्रों को इससे काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है। बात करें उनके पढ़ाने के तरीके की तो डॉ विकास दिव्यकीर्ति के पढ़ाने के तरीके के यूपीएससी की तैयारी करने वाले युवा कायल हैं। वो किसी भी विषय के बारे में अगर बिल्कुल जीरो से पढ़ाना शुरु करते हैं तो उस टॉपिक को तब तक बताते हैं जबतक उसकी पूरी जानकारी दे नहीं देते। अब ऐसे में कैंडिडेट को उस विषय का ज्ञाता तो बन ही जाता है।