कभी साइकिल पर बेचते थे रुई, आज ‘विनोद’ बनकर सबके दिलों में बस गए, जानें- अशोक पाठक के बारे में..

Ashok Pathak : ओटीटी प्लेटफॉर्म ने कई कलाकारों को नई पहचान दी है। इन कलाकारों में एक नाम इन दिनों काफी चर्चा में रहा है। इन्हें लोग विनोद कहते हैं। वेब सीरीज पंचायत 2 में विनोद का किरदार निभाने वाले का नाम अशोक पाठक (Ashok Pathak) है। अशोक पाठक ने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया है।

एक समय ऐसा भी था जब घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी तो यह रुई भी बेचा करते थे। इनके रुई बेचने का तरीका अलग था।जिससे लोगों को भी पता चल गया था कि आगे जाकर लड़का कलाकार बनेगा। आज हम एक रुई वाले से विनोद तक का सफर करने वाले अशोक पाठक के बारे में जानेंगे।

अशोक पाठक (Ashok Pathak) आज हर किसी के जेहन में बसते हैं। विनोद को कौन नहीं जानता। लेकिन यह विनोद इस पंचायत 2 से पहले गुमनाम था, हताश था। विनोद को अपने किरदार को लेकर चिंता थी। वे सोचते थे कि खाली रहड़ी वाले और चोर उचक्का का ही रोल मिलता है लेकिन यह छोटे छोटे रोल लगन से करते गए, जिसका फल पंचायत 2 में मिल गया। पंचायत टू में रोल छोटा है लेकिन लोगों ने काफी प्यार दिया। विनोद को लोग जानने लगे हैं। विनोद के बारे में जानना चाहते हैं। अब विनोद वह विनोद नहीं रहा विनोद लोगों का चहेता बन गया है।

रुई वाले थे विनोद : एक साक्षात्कार में अशोक बताते हैं कि वह बेहद गरीब परिवार से हैं। उसने 10वीं की पढ़ाई की। परिवार की आर्थिक मदद के लिए रूई तक बेच दी। रोजाना 100 रुपये मिलते थे। अशोक ने कहा कि रुई बेचने का उनका तरीका अलग था। गजब था, तभी से उनमें कलाकार आ गया।

कुछ समय बाद जब उन्होंने 12वीं पास की तो उन्हें एक स्टील फैक्ट्री में नौकरी मिल गई और परिवार की स्थिति थोड़ी बेहतर हो गई। पढ़ाई में मन नहीं लगा फिर भी मैंने कॉलेज में दाखिला ले लिया। कॉलेज के साथ ही थिएटर से भी जुड़ गए। यहां थिएटर करने के एक साल के अंदर ही मुझे स्कॉलरशिप मिल गई। मेरे कॉलेज की फीस भी माफ कर दी गई। यहीं से मेरे एक्टिंग करियर की शुरुआत हुई।

फिल्मी दुनिया में पहली कमाई : प्रोमो के ऑडिशन के लिए मुंबई जाने के 3 दिन बाद अशोक पाठक (Ashok Pathak) एक स्टूडियो पहुंचे। वहां मुझे ‘म्ंघाई गायन’ गाना गाने को कहा गया। मैंने वह गाना गाया और सेलेक्ट हो गया। यहां मेरी पहली कमाई 2500 रुपये थी। तब से मुझे छोटे-छोटे रोल मिलने लगे। पैसा कम था लेकिन बराबर पैसा आने लगा। मैंने कुछ ही महीनों में लाखों रुपए कमा लिए। इतना पैसा न तो मेरे पिता ने देखा था और न ही मैंने। तब से ये सिलसिला चलता रहा। पैसे की दिक्कत विनोद को कभी नहीं आई। लेकिन नाम पंचायत 2 ने दिया है।