Sridhanya Suresh: देश की पहली आदिवासी लड़की बनी IAS, पिता हैं मनरेगा मजदूर, जानिए – संघर्ष की कहानी

Sridhanya Suresh: यूपीएससी की परीक्षा पास करना हर उम्मीदवार का सपना होता है। इसके लिए लोग बचपन से ही मन में सपने संजोने लगते हैं। IAS एक ऐसा पद है जिसे पाना मुश्किल माना जाता है। लेकिन कई ऐसे कैंडिडेट्स भी होते हैं जो पहले प्रयास में ही इस पद को पाने में सफल हो जाते हैं। इसमें एक नाम श्रीधन्या सुरेश का भी है। वह एक आदिवासी मनरेगा मजदूर की बेटी है। बहुत कम सुविधाएं होते हुए भी वह अपने सपनों को पूरा कर लाखों लोगों की प्रेरणा बन गई हैं। आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।

श्रीधन्या सुरेश केरल की पहली आदिवासी लड़की हैं, जिन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईएएस बनने का सपना साकार किया है। श्रीधन्या के पिता मनरेगा के तहत एक मजदूर के रूप में काम करते थे और बाकी समय धनुष-बाण बेचते थे। उनकी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी। लेकिन पैसों की कमी को कभी भी पढ़ाई के आड़े नहीं आने दें।

पढ़ाई के साथ नौकरी : श्रीधन्या ने अपना ग्रेजुएशन सेंट जोसेफ कॉलेज, कोझिकोड से किया, उसके बाद ही उन्होंने उसी कॉलेज से जूलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह अनुसूचित जनजाति विकास विभाग में क्लर्क के तौर पर काम करने लगीं। इसके बाद उन्होंने वायनाड में एक आदिवासी छात्रावास में वार्डन के रूप में काम किया। यह सब करके वह अपने सपने को साकार कर पाई।

वार्डन के रूप में काम करते हुए, उन्हें यूपीएससी परीक्षा देने के लिए प्रेरित किया गया। बता दें कि तीसरे प्रयास में उनका चयन इंटरव्यू के लिए हो गया था, उस वक्त श्रीधन्या के पास दिल्ली आने के पैसे भी नहीं थे, लेकिन दोस्तों से मिलने के बाद उन्होंने पैसे जमा किए और दिल्ली आकर इंटरव्यू दिया। और अपने सपने को साकार करने में सफल रही।