बेगूसराय, 06 दिसम्बर : राज्यसभा सदस्य प्रो. राकेश सिन्हा ने कहा है कि पिछले 60 सालों से सत्ता के गलियारे और मंत्रालय में दलाली और उद्योगपतियों की लॉबिंग आम बात थी। लग रहा था जैसे व्यवस्था का हिस्सा हो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे साफ किया। भूलिए मत दर्जनों लोगों जिसमे कुछ पत्रकार भी थे कि गिरफ्तारी हुई थी। अडानी, अंबानी, बिरला, टाटा मुहावरा भूत काल की चीज है। उन्होंने रविवार को कहा कि कृषि कानून किसानों की जमीन पर स्वामित्व को कानूनी संरक्षण देता है। कोई भी बाहरी जो कृषि के लिए कॉन्ट्रैक्ट करता है न जमीन खरीद सकता है न ही उसपर आधारभूत संरचना बना सकता है। कोई बता दे कि यह प्रावधान किसान के हित में कैसे नहीं है।
कृषि कानून किसानों को पूरे देश में बिना किसी टैक्स के अपने उत्पाद कहीं भी बेचने का अधिकार देता है, ई- कॉमर्स का रास्ता खोलता है। किसानों के हित में नहीं है तो क्या है। मंडी की गुलामी, चुंगी और बिचौलियों से मुक्ति क्या किसानों का अहित है। कांग्रेस ने 70 साल में सात करोड़ किसानों को भूमिहीन होने के लिए बाध्य कर दिया, 11 करोड़ लघु और सीमांत किसानों को भूमिहीन बनाने पर आमदा है। 11 करोड़ किसानों को स्वावलंबी और समुन्नत बनाने के लिए नरेन्द्र मोदी की सरकार ने कृषि कानून बनाया है। कृषि कानून मांग और पूर्त्ति को किसानों के हित में करता है।
1955 के कलवाह्य एसेंशियल कमोडिटी एक्ट को निरस्त कर ऐसा सम्भव बनाता है। जब खरीददारी नहीं होगी तो दाम तो औने पौने ही मिलेगा, खरीददारी बढ़ेगी तब किसान लाभ में बेच पायेगा, यह बिचौलियों रास नहीं आ रहा है। 98 प्रतिशत किसान कृषि कानून के साथ हैं, दो प्रतिशत कुलक इसके विरोध में हैं। आज वामपंथी भी कुलक के साथ खड़े हैं। किसान देश की आत्मा है, उसकी उन्नति हमारा लक्ष्य है, राजनीति नहीं। कांग्रेस और कम्युनिस्ट के पास ना जमीर है और ना ही जमीन। कृषि कानून पढ़े लिखे लोगों को सम्मानित रूप से खेती करने के लिए प्रेरित करेगा, खेती मध्य युगीन नहीं आधुनिक युग की होगी। पिछले 70 सालों से किसी बच्चे से पूछिए कि क्या बनाना चाहते है, तो उत्तर मिलेगा आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, शिक्षक एवं नेता।
लेकिन कोई क्यों नहीं कहता कि किसान बनाना चाहता है, नेहरु के भारत की विरासत और वारिस इसका जवाब दे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे बदलने का संकल्प किया है। कृषि सुधार कानून को बिना पढ़े बहुत से लोग बोल और लिख रहे हैं। किसी उद्योगपति को एक इंच कृषि भूमि नहीं दी जायेगी, किसानों का स्वामित्व कानून और उसके खेत से ऐतिहासिक रिश्ते के द्वारा संरक्षित है।