न्यूज़ डेस्क : लगभग हर शहर में मानसून ने दस्तक दे दी है। ऐसे में कई शहरों में तो बारिश की वजह से बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। वहीं उत्तर-पूर्व के इलाकों में तो बाढ़ में भारी तबाही मजा रखी है। ऐसे में बरसात का असर कई क्षेत्रों के पड़ता है। इसमें से एक कंस्ट्रक्शन भी है। इन दिनों बालू, सीमेंट जैसी सामग्रियों की कमी हो जाती है।
ऐसे में इसका दाम बढ़ना लाजमी है। ऐसे में घर बनाना कठिन हो जाता है। हालांकि, एक जुलाई के बाद भी कंट्रक्शन मटेरियल की कीमत नहीं बढ़ी है। इसमें लोहा (Iron) और सीमेंट जैसी सामग्रियों की कीमत अनुमान से सस्ता ही रहा। बता दें कि कंस्ट्रक्शन मटेरियल की कीमत इस वर्ष मार्च-अप्रैल के महीने में अपनी पिक पर थी। इसके बाद भवन निर्माण में सबसे उपयोगी लोहा और सीमेंट की कीमतों में गिरावट देखी गई।
जून के महीने में तो लोहे की कीमत घट कर आधे पर आ गए थे। लेकिन मानसून की दस्तक पड़ते ही इसकी कीमत बढ़ते लगे। दरअसल बारिश के मौसम में कई सामग्रियों के उत्पादन पर भारी असर पड़ता है। ऐसे में बाढ़ की स्थिति में नदी से बालू नहीं आ पाता वहीं ईट भट्ठे से ईट लाने में भी खासा परेशानियों का सामना करना होता है। इन कारणों से बारिश के मौसम में इनकी कीमत में उछाल देखी जाती है।
लोहे (iron) की बात करें तो इसकी कीमत अभी काफी सस्ती ही। मार्च के महीने में इसकी कीमत 85 हजार रुपए प्रति टन था, वहीं अब कई राज्यों के अपने कीमतों के अनुसार 49000 हजार से लेकर 58 हजार 500 रुपए तक पहुंच गया है। जून में तो इससे भी नीचे आ गया था। इस प्रकार मार्च के मुताबिक हर सामग्री की कीमत में नरमी देखी जा सकती है।जब इन दिनों भवन निर्माण सामग्री की कीमत पीक पर होती है।