Azadi Ka Amrit Mahotsav : अमृत महोत्सव पर जाने देश के राष्ट्रीय ध्वज का सफर, कैसे मिला वर्तमान स्वरूप

Azadi Ka Amrit Mahotsav : इस वर्ष 15 अगस्त को देश आजादी का 75 वां वर्ष मनाएगा। इसी उपलक्ष्य में पहले से ही केंद्र सरकार ने हर घड़ी तिरंगा अभियान भी चला रखा है। जिसके तहत हर किसी को अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल फोटो पर भारतीय तिरंगे की तस्वीर लगाने की अपील की गई है। पूरा देश जोर-शोर से आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। वर्तमान समय में जो झंडा देश का प्रतीक है, वह राष्ट्रीय ध्वज का छठा रूप है। यानि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद पांच बार झंडे के स्वरूप में परिवर्तन हो चुका है। जानते है अपने राष्ट्रीय ध्वज के वर्तमान स्वरूप तक पहुँचने की कहानी।

116 वर्ष पूर्व बनाया गया था देश का पहला झंडा भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को ग्रीन पार्क, कोलकाता में फहराया गया था ।जो कि लाल, पीले और हरे रंग की पट्टियों से बनाया गया था। इसमें सबसे ऊपर हरी पट्टी थी, जिसमें कि कमल का फूल बना था। उसके बाद पीली पट्टी जिस पर वंदे मातरम लिखा हुआ था और सबसे नीचे की लाल पट्टी जिस पर कि सूरज और चांद बना हुआ था।

एक वर्ष में ही पहले झंडे में किया गया था बदलाव भारत का दूसरा झंडा पेरिस में मैडम कामा और कुछ अन्य क्रांतिकारीयो ने 1907 में फहराया था। यह झंडा पहले झंडे जैसा ही था। इसमें थोड़े बदलाव किए गए थे। ऊपर की पट्टी केसरिया रंग की हो गई थी जिस पर सप्त ऋषि को बनाया गया था। बीच में पीली पट्टी थी जिस पर वंदे मातरम लिखा था और सबसे नीचे हरी पट्टी जिस पर कि चांद और तारे बने हुए थे।

पूर्व के दो झंडों से बिल्कुल ही अलग बनाया गया था तीसरा झंडा भारत का तीसरा झंडा पूर्व के दो झंडों से बिल्कुल अलग स्वरूप का था। इसे 1917 में डॉक्टर एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान फहराया था। झंडे में एक के बाद एक लगातार पांच लाल और चार हरे रंग की क्षैतिज पट्टियां एक दूसरे के बाद बनी थी। इस पर सप्त ऋषि तथा इसके बाएं और में एक यूनियन जैक भी बना हुआ था। दूसरे कोने में एक सफेद अर्धचंद्र और सितारा बनाया गया था।

आंध्रप्रदेश के एक युवक ने बनाया था चौथे झंडे का स्वरूप वर्ष 1921 में फिर से भारतीय झंडे का स्वरूप बदला। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के में आंध्र प्रदेश के एक युवक ने झंडा बनाकर गांधीजी को दिया। इसमें दो रंग मुख्य थे लाल व हरा जो कि दो संप्रदायों, हिंदू और मुसलमान का प्रतिनिधित्व करते थे। दो समुदायों का प्रतिनिधित्व करने के कारण इसे गांधीजी के सुझाव पर हिंदू और मुसलमान के अलावा भारत के अन्य लोगों के लिए भी एक सफेद पट्टी तथा राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में इसमें एक चरखा जोड़ा गया था। इसी के थोड़े वक्त बाद भारत का राष्ट्रीय ध्वज बदला जो कि वर्तमान ध्वज जैसा ही था। बस इसमें बीच की सफेद पट्टी पर चरखा बना हुआ था।

वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज को वर्ष 1947 में अपनाया गया था भारत का वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज 22 जुलाई 1947 को सामने आया। संविधान सभा ने मुक्त भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूप में इसे अपनाया। पुराने झंडे से इसमें कुछ खास परिवर्तन नहीं किया गया। सिर्फ चरखे के स्थान पर अशोक चक्र को बना दिया गया था जो कि सम्राट अशोक के धम्म का प्रतीक है ।और तब से लेकर आज तक इसी झंडे को पूरा भारत अपनाए हुए हैं, और विश्व भर में भारत का प्रतिनिधित्व भी यही झंडा करता है।