अर्पिता के घर में मिले करोड़ो के कैश का आखिर किससे है ताल्लुख ? जानिए कैश क्वीन के बीते काले राज

डेस्क : पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग के करोड़ों रुपये के घोटाले की मुख्य आरोपियों में शुमार अर्पिता मुखर्जी ने नकदी बरामदगी पर अपनी चुप्पी तोड़ी है. उनका दावा है कि भारी मात्रा में जो नकदी उनके दो आवासों से बरामद की गई है वह उनकी गैरमौजूदगी में और उनकी जानकारी के बिना जमा किए जाते थे. ED द्वारा नियमित जांच के लिए कोलकाता के ESI अस्पताल लाए जाने के दौरान मुखर्जी ने मीडिया से कहा कि मेरी अनुपस्थिति में और मेरी जानकारी के बिना वसूली की गई राशि फ्लैटों में पड़ी थी. इसी उद्देश्य से बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी को भी मंगलवार सुबह अस्पताल लाया गया था.

20 जुलाई को अर्पिता मुखर्जी ने ईडी के अधिकारियों को सूचित किया था कि कोलकाता के उत्तरी बाहरी इलाके में बेलघरिया में उनके आवास में कई सारी डुप्लिकेट चाबियां थीं, जिनका उनकी अनुपस्थिति में कई अन्य लोग उपयोग किया करते थे. इसका भी उन्होंने दावा किया कि उन्हें अलमारी को खोलने की भी अनुमति नहीं थी, जहां नकदी का स्टॉक था. और तो और ये फ्लैट आधिकारिक तौर पर उनके नाम पर होने के बाद भी उन कमरों में जाने की उन्हें अनुमति नहीं थी. अब अर्पिता मुखर्जी के इन बयानों पर सियासी कीचड़ उछाला जाने लगा है. पश्चिम बंगाल भाजपा प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि अपराधिक पैटर्न से तो यह साफ है कि अर्पिता मुखर्जी के लिए इतने बड़े पैमाने पर वित्तीय गबन का आयोजन करना आसान नहीं था. उन्होंने कहा कि घोटाले में अर्पिता ने जो भूमिका निभाई है वह महज एक मोहरे की है. पार्थ चटर्जी भी घोटाले में शामिल अकेले नहीं थे.

इसी तरह से माकपा केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि हम शुरू से ही कह रहे थे कि अपराध की आय के लिए पार्किंग स्लॉट के रूप में मुखर्जी के स्वामित्व वाले फ्लैटों का इस्तेमाल किया जाता था. जहां न सिर्फ़ पार्थ चटर्जी सहित राज्य सरकार के कई अन्य लोग और सत्तारूढ़ दल शामिल हैं. ईडी को अब खोजी आक्रामकता के साथ जारी रखना चाहिए जो अभी वह प्रदर्शित कर रहा है. वहीं टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि इतने दिनों तक चुप रह कर गिरफ्तारी के बाद इस तरह की टिप्पणियां देना निराधार हैं. कानून अपना काम करेगा.”