न्यूज डेस्क: रणजीत सिंह डेरा की प्रबंधन समिति के प्रमुख थे। कुरुक्षेत्र के रहने वाले रणजीत सिंह की 10 जुलाई 2002 को हत्या कर दी गई थी। इंसाफ की आस में बेठे रणजीत सिंह का परिवार शायद आज इस खबर को पढ़कर सुकून की नींद सो सकेगा। पंचकूला में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने सोमवार को 19 साल बाद फैसला सुनाया है। डेरा प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या के मामले में गुरमीत राम रहीम और चार अन्य को उम्रकैद की सजा सुना दी गई है।
समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि राम रहीम पर 31 लाख रुपये और बाकी आरोपियों पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। रंजीत सिंह, जिनकी 10 जुलाई 2002 को हत्या कर दी गई थी, वह राम रहीम सिंह के डेरा सच्चा सौदा के पूर्व समर्थक थे। पूर्व डेरा प्रबंधक रंजीत सिंह, जो इस संप्रदाय के अनुयायी भी थे। की 2002 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। एक गुमनाम पत्र के प्रसार में उनकी संदिग्ध भूमिका के लिए उनकी हत्या कर दी गई, जिससे पता चला कि कैसे डेरा प्रमुख द्वारा महिलाओं का यौन शोषण किया जा रहा था।
सीबीआई के आरोप पत्र के अनुसार, डेरा प्रमुख का मानना था कि गुमनाम पत्र के प्रसार के पीछे रणजीत सिंह का हाथ था और उसने उसे मारने की साजिश रची। पंचकुला में सीबीआई की विशेष अदालत ने 8 अक्टूबर को सिंह और चार सह-आरोपियों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) के तहत दोषी ठहराया था।
वही 2019 में, डेरा सच्चा सौदा प्रमुख और तीन अन्य को पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या का दोषी ठहराया गया था, जिन्होंने अपने आश्रम में राम रहीम सिंह द्वारा महिलाओं के यौन शोषण के बारे में एक गुमनाम पत्र प्रकाशित किया था। वर्तमान में, राम रहीम स्वयंभू बाबा रोहतक की सुनारिया जेल में अपनी दो महिला शिष्यों के साथ बलात्कार के आरोप में 20 साल की सजा काट रहे हैं। उन्हें अगस्त 2017 में विशेष सीबीआई अदालत ने बलात्कार के लिए दोषी ठहराया था।