ये हैं वो तीन कंपनियां जो भारत में बना रहीं कोरोना वायरस की वैक्सीन, जानिए क्या है उनके नतीजे

डेस्क : स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कोरोना वायरस वैक्सीन के परीक्षण जिक्र किया, उनका देश के विभिन्न केंद्रों पर अलग-अलग चरणों में ट्रायल चल रहा है। पीएम मोदी ने जिन तीन व्यक्ति के परीक्षण का जिक्र किया वह कुछ इस प्रकार हैं.. बायोटेक ICMR देश की पहली स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सीन को हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर ह्यूमन ट्रायल शुरू कर दिया है। कोवैक्सीन वैक्सीन निष्क्रिय वैक्सीन की श्रेणी में आती है. इस तरह की वैक्सीन रोगजनक को निष्क्रिय कर देती है जिसके कारण लंबे समय तक संक्रमण नहीं होता. यह वायरस के कुछ हिस्सों को शरीर के इम्यून सिस्टम के द्वारा पहचाना जा सकता है और वह प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को गति प्रदान कर सकता है.

एक बार टीका लगाने के बाद शरीर एंटीबॉडी का उत्पादन करता है जो कोरोनावायरस के संक्रमण से लड़ सकता है. वैक्सीन को विकसित करने के लिए वैज्ञानिकों ने सोर्स-सीओवी-2 के एक प्रकार का इस्तेमाल किया है, जिससे पुणे नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी मे अलग किया गया था।यह ट्रायल जून में एक विवाद में फंस गया था उस वक्त आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने कहा था कि 15 अगस्त के आसपास इसे लॉन्च करेंगे, हालांकि बाद में भारत बायोटेक ने कहा था कि परीक्षण 15 महीनों से अधिक चलेंगे।

जायडस कैडिला अहमदाबाद स्थित फार्मास्यूटिकल कंपनी जायडस कैडिला वैक्सीन जियकोव-डी का भी ह्यूमन क्लीनिक ट्रायल जारी है। इस कंपनी का कहना है कि वैक्सीन अगले साल तक लांच हो सकती है. इस तरह के टीकों में जेनेटिकली इंजिनियडॅ प्लाजिमड होता है। यह छोटा डीएनए अणु होता है जो स्वतंत्र रूप से प्रतिकृति बना सकता है। डीएनए आधारित वैक्सिंन को सोर्स सीओवी-2 वायरस के किसी अन्य संस्करण की आवश्यकता नहीं होती है, यह वायरस को काफी सामान्य बना देता है।

सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्रेजनेका द्वारा विकसित वैक्सीन के लिए भारत में परीक्षा शुरू करने के लिए एक ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की अनुमति ली है। इस वैक्सीन ने पहले ही अमेरिका और ब्राजील सहित दुनिया के कई हिस्सों में तीसरे चरण के परीक्षणों का दौर शुरू कर दिया है। नवंबर में यह ट्रायल खत्म होंगे। वैक्सीन में चिंपैंजी को प्रभावित करने वाले सामान्य वायरस का कमजोर और गैर -प्रतिकृति संस्करण है, इस प्रोटीन की उपस्थिति शरीर में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया बढ़ाती है। कंपनी ने उत्पादन में तेजी लाने के लिए बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ काम कर रही है, और इसे कम लागत और कम और मध्यम आय वाले देशों में आपूर्ति के लिए भी तैयार है।