न्यूज डेस्क : एशिया महादेश के चार देशों में आयोजित आईसीसी वर्ल्ड कप का फाइनल 2 अप्रैल 2011 ये वो दिन था जो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सुनहरे अक्षरों से अंकित किया जाएगा।हर भारतीय क्रिकेट फैंस के लिए ये दिन बेहद ही खास है । क्योंकि ये वो दिन था जो भारतीय क्रिकेट फैंस के लिए 28 वर्ष बाद आया था। और शायद ही कोई भी भारतीय इस दिन को भूल पाए।आपमें से जिसने भी वो फाइनल मैच देखें होंगे तो उन्हें याद होगा कि श्रीलंका के महान गेंदवाज कुलांसेकरा की वो गेंद जिसपे माही(एम एस धोनी) ने छक्का लगा कर गेंद को सीमा रेखा के पार भेज कर भारत को करीब 3 दशक बाद विश्व कप जीताया था।
इस टीम के सभी 11 खिलाड़ियों ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर भारत को ये मुकाम हासिल करवाया। कोई भारतीय फैंस रवि शास्त्री की वो कमेंट्री को नहीं भूल सकता जब भारत ने मैच जीता।खिलाड़ियों ने उस जीत को सचिन को समर्पित किया। करोड़ों भारतीय के साथ सचिन का सपना था की वो विश्व कप विजेता टीम के हिस्सा बने और भारत को वर्ल्ड कप जीताए । विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग का आतिशी पारी हो या सचिन का क्लासिकल ड्राइव, युवी का फ्लिक वाला छका या जहिर की लहराती हुई गेंद , रैना का क्वार्टर और सेमी फाइनल में जुझारू पारी । पूरी टीम ने एक साथ मिलकर टूर्नामेंट में हिस्सा लिए दूसरी टीम से बेहतर प्रदर्शन कर विश्व विजेता बनकर दिखाया था । दस साल भी वो दिन यादकर हर भारतीय क्रिकेट फैंस को बेहद ही खुशी होती है।
विश्व विजेता टीम के मात्र तीन खिलाड़ी हैं सक्रिय लेकिन क्या आपको मालूम है कि विश्व कप 2011 जीतने के एक दशक बाद भी विजेता टीम के 11 में से 3 खिलाड़ी ऐसे हैं जो अभी भी रिटायर नही हुए।और उनमें से एक तो वर्तमान में विश्व में सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज के साथ भारतीय कप्तान भी हैं।जी हां हम बात कर रहे विराट कोहली की।जो 2011 में भी विजेता टीम के हिस्सा थे और गौतम गंभीर के साथ सचिन सहवाग के आउट होने के बाद अच्छी पार्टनरशिप कर भारत को संकट से निकाला और 31 रनों की महत्वपूर्ण पारी मिडिल ऑर्डर में खेली। गौतम गंभीर ने फाइनल में 97 रनों की विजय पारी खेलकर सुनिश्चित किया की भारत मैच में बना रहे और जीते। विराट कोहली के अलावा एस श्रीसंत और हरभजन सिंह ने भी सन्यास नही लिया है।
श्रीसंत को मैच फिक्सिंग मामले में 7 वर्ष की सजा हुई जिसे उन्होंने पूरा कर फ्रेंचाइजी क्रिकेट शुरू कर दिया है। और नेशनल टीम में आने के लिए मेहनत कर रहे हैं। तो वही हरभजन सिंह ने अपना अंतिम इंटरनेशनल मैच 2016 में खेला जिसके बाद वो सिर्फ आईपीएल में नजर आए।हरभजन सिंह ने 2011 वर्ल्ड कप फाइनल में श्रीलंका के विस्फोटक बल्लेबाज दिलशान को आउट कर भारत को बड़ी सफलता दिलाई थी।इससे पहले सेमी फाइनल में भी हरभजन ने अपने उंगली की कला से पाकिस्तान के उमर अकमल को बोल्ड कर भारत को मैच में वापसी करवाया।
विश्व कप 2011 विजेता टीम के कुल 8 खिलाड़ियों ने लिया सन्यास आठ खिलाड़ियों ने अब क्रिकेट से सन्यास ले चुके हैं। जिसमें सहवाग,सचिन,गंभीर,धोनी,रैना,जाहिर खान,मुनाफ पटेल और युवराज सिंह शामिल हैं।पिछले वर्ष धोनी और रैना ने एक साथ रिटायर होकर फैंस को चौका दिया था।कोई क्रिकेट प्रेमी नहीं भूल सकता की कैसे इन सभी महान खिलाड़ियों ने एक यूनिट बनकर भारत का 28 वर्ष बाद दोबारा विश्व कप जीतने का सपना साकार कर के दिखाया।वीरेंद्र सहवाग ने टूर्नामेंट के पहले 5 मैच में चौका मार पारी की शुरआत की और 47 से अधिक के औसत से रन बनाए।
तो वही क्रिकेट के भगवान सचिन ने 53 के औषत से टूर्नामेंट में दूसरी सबसे ज्यादा रन बनाया।युवराज सिंह को ऑल राउंड परफॉर्मेंस के लिए मैन ऑफ द टूर्नामेंट से नवाजा गया।ऑल राउंड भूमिका निभाते हुए 15 विकेट के साथ 90 के औसत से 362 रन बनाए।तो वहीं महेंद्र सिंह धोनी को फाइनल में 91 रनों के महत्वपूर्ण पारी के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया।गौतम गंभीर की 97 रनों कि महत्वपूर्ण और विजेता पारी और उनकी नेशनल जर्सी हमेशा के लिए अमर हो गई।उनके जर्सी पर वतन की लगी मिट्टी इस बात की प्रतीक है की उस रात भारत ने जो हासिल किया उसमें गौतम गंभीर ने क्या भूमिका निभाई और सुनिश्चित किया कि भारत वर्ल्ड कप 2011 का विश्वविजेता बनेगा।