डेस्क : अब देश में कोरोना की लड़ाई में तीसरा हथियार हाथ में आ चुका है। बताते चलें कि भारत में अबतक कोविड टीकाकरण को ले स्वदेशी कोविशिल्ड और कोवेकसिन से जारी था। शनिवार की शाम 4 बजे अब रूसी कोविड टिका भी भारत पहुंच गया है। कहा जा रहा है कि आज से शुरू हुए महा टीकारण अभियान में यह सहयोगी साबित होगा।
शनिवार को हवाई जहाज से रूसी वैक्सीन स्पूतनिक V की पहली खेप भारत पहुंच गई। 1.5 लाख डोज लेकर रूसी विमान करीब 4 बजे हैदराबाद में लैंड किया। ऐसा अनुमान है कि देश में टीकाकरण के बीच स्पूतनिक वी के आने से तेजी मिलेगी। पिछले साल से ही भारत में कोविशील्ड और कोवैक्सिन के साथ कोरोना के खिलाफ जंग जारी है। स्पूतनिक-वी की पहली खेप से इस अभियान में तेजी आने की संभावना है। आपके बता दें कि भारत ने हाल ही में रूसी वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। जिसके बाद पहली खेप देश में पहुंच चुका है।
भारत में इसे 12 अप्रैल को भारत में विनियामक अनुमोदन या आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी थी । बताते चलें कि स्पुतनिक वी मानव एडेनोवायरल वैक्टर पर आधारित है, तीन वैक्सीन में से एक है (अन्य दो फाइजर और मॉडर्ना की बनाई हुई हैं) जिनमें कोरोनोवायरस बीमारी के खिलाफ 90 प्रतिशत से अधिक प्रभावशाली है,जो एसएआरएस-सीओवी -2 ( SARS – COV – 2 ) के कारण होती है।
- फेज 3 ट्रायल के अंतरिम नतीजों में Sputnik V वैक्सीन की एफेकसी 91.6% पाई गई है।
- भारत बायोटेक की Covaxin ने फेज 3 क्लिनिकल ट्रायल में 81% की एफेकसी हासिल की थी।
- सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की Covishield की एफेकसी 62% दर्ज हुई थी। हालांकि डेढ़ डोज देने पर एफेकसी 90% तक पहुंच गई।
- Covishield की दो डोज 4-8 हफ्तों के अंतराल पर दी जाती हैं। इसे स्टोर करने के लिए सब जीरो तापमान (शून्य से कम) की जरूरत नहीं है।
- Covaxin की दो डोज 4-6 हफ्तों के अंतराल पर दी जाती हैं। इसे भी 2-8 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान पर स्टोर कर सकते हैं।
- Sputnik V के डिवेलपर्स के अनुसार, इसे भी 2-8 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच स्टोर किया जा सकता है। यह वैक्सीन भी दो डोज में दी जाती है।
- Covishield और Covaxin, दोनों ही सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में लगाई जा रही हैं। प्राइवेट अस्पताल में जाने पर 250 प्रति डोज का शुल्क लिया जा रहा है। सरकार सीरम इंस्टिट्यूट और भारत बायोटेक को 150 रुपये प्रति डोज दे रही है।
- Sputnik V की भारत में कीमत अबतक स्पष्ट नहीं है। विदेश में यह टीका 10 डॉलर प्रति डोज से कम है। RDIF का शुरुआती प्लान इसे रूस से आयात करने का है। ऐसे में कीमत ज्यादा हो सकती है।
- एक बार इस वैक्सीन का प्रॉडक्शन भारत में शुरू हो जाए तो कीमतें काफी कम हो जाएंगी। डॉ रेड्डी लैबोरेटरीज से 10 करोड़ डोज बनाने की डील हुई है। इसके अलावा RDIF ने हेटरो बायोफार्मा, ग्लैंड फार्मा, स्टेलिस बायोफार्मा, विक्ट्री बायोटेक से 85 करोड़ डोज बनाने का भी करार कर रखा है।