किसी लड़की के नाम को नहीं बल्कि इस वजह से अंडरगार्मेंट का नाम रखा गया रूपा – लाल सिंह चड्ढा में हुआ जिक्र

डेस्क : इन दिनों बॉलीवुड एक्टर आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चड्ढा सिनेमाघरों में दर्शकों की पसंद बनी हुई है. हालांकि,फिल्म टिकट की बिक्री के मामले में कई जगहों से लाल सिंह चड्ढा को लेकर अच्छी खबरें नहीं आ रही हैं. वैसे फिल्म अपने बायकॉट की वजह से भी चर्चा में रही है और अब फिल्म की वजह से चर्चा में अंडरगार्मेंट बनाने वाला ब्रांड. दरअसल, रूपा अंडरगार्मेंट ब्रांड की लाल सिंह चड्ढा के थियेटर्स में रिलीज होने के बाद काफी चर्चा हो रही है. करीना कपूर का नाम भी इस फिल्म में रूपा ही है. कई बार फिल्म में इस ब्रांड का जिक्र हुआ है.

इसके बाद चांदी पर ही नाम रखा गया है. अगर चांदी का बंगाली नाम आप देखेंगे तो इसका नाम रुपो या रूपा है. इस वजह से इसका नाम रूपा रखा गया है. उस दौरान रूपा ने इंनरवियर में कई लॉन्च किए. रूपा ने सबसे पहले बिहार के पटना में बनियान बेचना शुरू किया था. अब कंपनी काफी आगे बढ़ चुकी है. अगर साल 2019 का कारोबार देखें तो कंपनी ने 1222 करोड़ रुपए की कमाई की थी. वहीं अभी कंपनी के 125000 रिटेल सेलर है. साथ ही 1200 से अधिक थोक विक्रेता हैं. अब एक लंबे नेटवर्क के साथ कंपनी बाजार में अच्छा बिजनेस कर रही है अंडरगार्मेंट ब्रांड की असली कहानी जानना चाहते हैं कि आखिर कौन है इसका मालिक और कैसे इस ब्रांड ने बाजार में अपनी जगह बनाई. इसका सही में लाल सिंह चड्ढा से कोई कनेक्शन तो नहीं है. तो चलिए जानते हैं इस ब्रांड से जुड़ी हर एक बात-

साल 1968 से रूपा बाजार में है और लगातार अंडरगार्मेंट बिजनेस में कारोबार कर रही है. प्रह्लाद राय अग्रवाल ने कंपनी की शुरुआत की थी और कंपनी की शुरुआत पश्चिम बंगाल के कोलाकाता से हुई थी. प्रह्लाद राय अभी कंपनी के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन हैं. कलकत्ता विश्वविद्यालय से उन्होंने कानून में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है. कपड़ा उद्योग में उन्हें 40 से अधिक सालों का अनुभव है.

रूपा नाम की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है. अगर आपको लगता है कि किसी महिला या लड़की के नाम पर रूपा नाम रखा गया है तो आप बिल्कुल गलत है. फॉर्च्यून इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, कोलकाता एक समय में इनरवियर कपड़ों का अहम स्थान होता था. साल 1968 में जब रूपा की शुरुआत हुई, तब इस इंडस्ट्री में कई अनऑर्गनाइज्ड ब्रांड ही कारोबार कर रहे थे. इन ब्रांड के असली हीरा, असली सोना जैसे नाम हुआ करते थे और फिर इसके बाद जब रूपा ने कारोबार शुरू किया तो कंपनी के मालिक ने हीरा और सोना के बाद चांदी पर नाम रखने की सोची.

अब इसके बाद चांदी पर ही नाम रखा गया है. यदि चांदी का बंगाली नाम देखेंगे तो इसका नाम रुपो या रूपा होगा. यही कारण था कि इसका नाम रूपा रखा गया है. रूपा ने उस दौरान इंनरवियर में कई लॉन्च किए, जिसमें इलास्टिक की अंडरवियर आदि शामिल थी. सबसे पहले रूपा ने बिहार के पटना में बनियान बेचना शुरू किया था. वहीं अब कंपनी काफी आगे बढ़ चुकी है और साल 2019 का कारोबार देखें तो कंपनी ने 1222 करोड़ की कमाई की थी. कंपनी के अभी 125000 रिटेल सेलर हैं और 1200 से अधिक थोक विक्रेता हैं. बता दें कि इसका फिल्म लाल सिंह चड्ढा से कोई कनेक्शन नहीं है. इसका नाम फिल्म में सिर्फ सिनेमा के तौर पर ही इस्तेमाल किया गया है.