लता मंगेशकर का संगीतकार मदन मोहन के साथ ऐसा था रिश्ता, जानकर आप हो जाएगे भावुक

लता मंगेशकर मदन मोहन की पहली फिल्म में गाना नहीं गा सकीं। मदन मोहन ने हमेशा इसे रगड़ा है। रक्षाबंधन पर बॉलीवुड फिल्में और गाने अमर हैं। बॉलीवुड में भी कुछ रिश्ते हमेशा के लिए इस राखी के दरवाजे से बंधे हैं। ऐसा ही एक बंधन है स्वरकोकिला लता मंगेशकर और संगीतकार मदन मोहन का। मदन मोहन लताजी के राखी भाई थे और उन्होंने अपनी बहन से वादा किया था कि वह उनकी हर फिल्म में गाना गाएंगे। जानिए रक्षाबंधन के मौके पर इस रिश्ते की कहानी, जिसके लिए मदन मोहन की मौत के बाद भी लताजी को दिया गया वादा निभाया।12 नवंबर 2004 को रिलीज़ हुई, यश चोपड़ा की फ़िल्म वीर-ज़ारा मदन मोहन द्वारा रचित अंतिम फ़िल्म थी।

ऐसे जुड़ा था भाई-बहन का रिश्ता

लता और मदन मोहन के रिश्ते की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। उस दिन रक्षाबंधन था। मदन मोहन को इस बात का बहुत दुख हुआ कि लता मंगेशकर अपनी पहली फिल्म में कोई गाना नहीं गा सकीं। मदन मोहन लताजी को अपने घर ले आए और राखी देकर कहा- आज राखी है। इसे मेरी कलाई से बांध दो इसके बाद मदन मोहन ने लताजी को याद दिलाते हुए कहा- जब हम पहली बार मिले थे तो भाई-बहन का गाना गाया था। आज से तुम मेरी छोटी बहन हो और मैं तुम्हारा मदन भाई। मैं वादा करता हूं, आज से आप अपने भाई की हर फिल्म में गाएंगे।

मरने के बाद निभाया वादा

इस घटना का उल्लेख यतीन्द्रनाथ मिश्र की पुस्तक ‘लता सुर गाथा’ में मिलता है। मदन मोहन की मृत्यु के बाद भी लता से किया गया वादा पूरा हुआ। दरअसल, 2004 में जब फिल्म वीर-जारा में मदन मोहन की रचना का इस्तेमाल किया गया था, तब फिल्म के सभी गाने लता मंगेशकर द्वारा गाए गए थे और हर बार की तरह, भाई-बहनों की इस जोड़ी ने क्लासिक्स की रचना की थी।

मदन भैया को हमेशा याद करती हैं

लताजी हर साल मदन मोहन की पुण्यतिथि पर उन्हे याद करती हैं। लताजी ने एक बार एक गाना शेयर करते हुए लिखा- कुछ लोग दुनिया से जल्दी चले जाते हैं, लेकिन हमेशा अपनों के करीब होते हैं। इसी तरह मदन भैया हमेशा अपने बच्चों के साथ और मेरे साथ हैं। हमेशा याद रखें आज, उनकी पुण्यतिथि पर, मैं उन्हें विनम्र अभिवादन देती हूं। इतना ही नही वह उन्हे उनके जयंती पर भी उन्हे याद करती है ।