फिल्म पुष्पा में Allu Arjun को राजा बनाने के पीछे है लाल चंदन की कहानी,जानिए एक लकड़ी की कीमत

डेस्क : साउथ सुपर स्टार अल्लु अर्जुन(Allu Arjun) और नेशनल क्रश बनकर लोगों के दिलों मे राज करने वाली एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना की हाल ही में रिलीज़ हुई फ़िल्म पुष्पा ने पूरे देश भर में धूम मचा दी है। इस फिल्म की कहानी लाल चंदन पर आधारित है। इसमें एक एक मजदूर इस लाल चंदन के जरिए कारोड़ पति बन जाता है। लाल चंदन को रक्त चंदन भी कहा जाता है, जिसकी गठरी अगर किसी व्यक्ति के पास हो तो वह धनवान ही बन जाए। इसकी कीमत सोने चांदी से कम नहीं और ये इसका एक अलग ही महत्व होता है। चन्दन के और भी प्रकार है जैसे कि सफेद और पीले भी, लेकिन लाल चंदन की लकड़ी काफ़ी महंगी होती है।

यह पेड़ आंध्र प्रदेश की शेषाचल की पहाड़ियों में पाए जाते हैं जो तमिलनाडु की सीमा से लगने वाले चार ज़िले नेल्लोर, चित्तूर, कडप्पा और कुरनूल में पड़ती है। इसके अलावा दुनियां में ऐसे लाल चंदन के पेड़ कहीं नहीं होते। इस लकड़ी को शैव और शाक्त मत के लोग पूजा पाठ में इस्तेमाल करते हैं। इसे बहुत ही पवित्र माना जाता है। यह लकड़ी पानी में डूब सकती है और यह इसकी विशेषता और पहचान भी होती है। इस पेड़ की ऊंचाई क़रीब 8-11 मीटर तक होती है।

लाला चंदन का वैज्ञानिक नाम Pterocarpus Santalinus है। आपको बता दें, कि पीले चंदन में सुगंध होती है लेकिन लाल चंदन में नहीं। इसके कई सारे उपयोग आयुर्वेद में बताए गए हैं। इसमें काफ़ी औषधीय गुण मौजूद होते हैं और इसे सुंदरता को निखारने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। इस लकड़ी से बनाया जाने वाला फर्नीचर काफ़ी मंहगा होता है। साथ ही इसकी मांग सजावट एवम् अन्य चीज़ों के लिए भी होता है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एक किलो लाल चंदन के लकड़ी की क़ीमत 90 हज़ार से डेढ़ लाख रूपये तक होती है। अब एक क्विंटल लकड़ी की क़ीमत 9-15 करोड़ रूपए तक हो जाती है। पारंपरिक वाद्ययंत्रों के लिए इसकी डिमांड काफ़ी होती है। सबसे ज्यादा इस लकड़ी की मांग चीन में है और इसके अलावा जापान, सिंगापुर, यूएई सहित एनी देशों में भी होती है।

अब ऐसे में इस लकड़ी की अवैद्य तरीके से तस्करी ना हो इसके लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। चंदन की लकड़ी की तस्करी के मामले आकाश, सड़क और जल के रास्ते से आते रहे हैं। तस्कर पकड़े जाने के डर से इसका पाउडर बनाकर ले जाते हैं। इन गतिविधियों पर नजर बनाए रखने के लिए यहां एसटीएफ के जवानों को तैनात किया गया है।

इस लकड़ी के तस्करी पर रोक लगाने के लिए देश में सख़्त कानून व्यवस्था बनाए गए हैं। बावजूद इसके तस्कर अपनी हरकटोट से बाज़ नहीं आते। इसकी लकड़ी और पाउडर दोनों की ही तस्करी की जाती है। इन कारणों से बीते कुछ सालों में इस लकड़ियों की तादात में कमी आई है। बता दें, कि लाल चंदन तस्करी में पकड़े जाने पर 11 साल की जेल और जुर्माने का भी प्रावधान है और कई तस्करों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। इन कारणों इलाकों पर पुलिस की कड़ी निगरानी होती है।