UPSC टॉपर शुभम कुमार के जाति को लेकर छिड़ी बहस, इंटरव्यू में कम अंक मिलने के बाद शुरू हुई सियासत, जानें – पुरा मामला

न्यूज डेस्क: संघ लोक सेवा आयोग यानी कि यूपीएससी (UPSC) ने 2020 का रिजल्ट प्रकाशित कर दिया। रिजल्ट प्रकाशित होते ही बिहार के शुभम कुमार ने बाजी मारते हुए पूरे इंडिया में प्रथम स्थान को प्राप्त हुए। उसके बाद पूरे बिहार में बधाई देने वालों का तांता लग गया, सीएम से लेकर जिलाधिकारी तक उनकी खूब तारीफ की। लेकिन इसी बीच सिविल सर्विसेज के आयोग ने सभी टॉपर्स के इंटरव्यू मार्क्स प्रकाशित किए। जिसमें बिहार के यूपीएससी (UPSC) टॉपर शुभम कुमार को सबसे कम अंक मिले, फिर भी वो यूपीएससी टॉपर है, जबकि सेकंड टॉपर को उससे ज्यादा अंक मिले लेकिन रिटर्न में उनसे कम था। बस होना क्या था वह कटिंग धीरे-धीरे सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और सभी राजनीतिक पार्टियां इसपर अपनी रोटियां सेकने लगे।

सबसे पहले आरजेडी का तंज: शुभम के रिजल्ट आने के बाद से ही उसके चाहने वाले और देश में कई लोग बेहद खुश थे तो वही तेजस्वी यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के राजनीतिक सलाहकार कहने वाले संजय यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा, ”इस बार UPSC परीक्षा OBC वर्ग के कुशवाहा जाति से आने वाले शुभम कुमार ने टॉप किया। उन्हें Top-10 में लिखित परीक्षा में सबसे अधिक अंक 878, लेकिन इंटरव्यू में सबसे कम 176 अंक प्राप्त हुए। वहीं Top-10 में लिखित में सबसे कम 816 अंक लाने वाली अल्पा मिश्रा को इंटरव्यू में सबसे अधिक 215अंक मिले।”

मामले को बारीकी से समझिए: इस ट्वीट से आप क्या समझे ? एक तरफ जहाँ पार्टी दावा करती है की वह सभी वर्गों के प्रतिनिधि है जो की जाति के तौर पर भेदभाव बिल्कुल नहीं करते वही दूसरी ओर तेजस्वी यादव के बेहद करीबी संजय यादव ने यूपीएससी परीक्षा में मिले अंकों को भी जातिवाद के नजरिये से देखना शुरू कर दिया और बाकायदा ट्वीट भी किया । इस ट्वीट से एक बात तो जाहीर है की बिहार में चाहे कोई कितने भी उछाई पर पहुँच जाए पर हर चीज में सरकारे कास्ट पॉलिटिक्स कर ही देती है।

एक बार फिर जातिवाद का खेला: जब आप एक पब्लिक फिगर बन जाते है तो आप सिर्फ अपने परिवार या दोस्तों तक सीमित नहीं रहते आपको देखने वालों में , आपके सिखाए हुए कदम पर चलने वालों में कई लोग शामिल हो जाते है । इसी तरह संजय यादव भी एक पब्लिक फिगर है जाहीर है उनके ट्वीट को देख कर सोशल मीडिया पर भी लोग दो हिस्सों में बट गए एक वो जो शुभम के समर्थन में आए। किसी ने कहा यादव जी सोशल मीडिया के बाहर निकलिए, आंखें खोलिए देखिए भारत खुला है।

अब जरा मामले को यहां भी समझिए: एक व्यक्ति ने लिखा, बिहार के बड़ी संख्या में लोग पलायन कर गए हैं. आप जातिवादी राजनीति कर रहे हैं। जब हर एक व्यक्ति शिक्षित हो जाएंगे आप की राजनीतिक ठंडे बस्ते में चले जाएगी। किसी ने उन्हें प्रवासी कहकर भी संबोधित किया और जातिवादी करार दिया तो वही दूसरी ओर वो लोग थे जिन्होंने जातिवादी टिप्पणियों से कमेन्ट सेक्शन को भर दिया । और वो शुभम जिन्होंने कभी अपनी जाती का जिक्र तक नहीं किया वो अब एक टॉपर नहीं , सभी बिहारियों का गर्व नहीं बल्कि अब कुशवाहा जाति यानी ओबीसी समाज के गौरव कहलाए जाने लगे. शायद शुभम कुमार ने कभी भी खुद को जातिवादी नजरिये से नहीं देखा होगा यही कारण है की वह पूरे बिहार के गौरव बन पाए. उनके साथ उनके चाहने वाले सभी परिजनों, पड़ोसियों व मित्रों का आशीर्वाद और दुआएं होंगीं तभी वह इतना आगे बढ़ पाए है . बिहार अक्सर जातिवाद को लेकर पिछरा कहलाता है और वहाँ का सियासी खेल ऐसा है की वहाँ जीतने भी नेता आते है वो जात के आधार पर लोगों को और पीछे धकेल देते है उदाहरण आप सभी के सामने है ।

शुभम का बचपन का सफर कुछ इस तरह रहा: शुभम मूल रूप से बिहार के कटिहार शहर के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा बिहार के विद्या विहार आवासीय विद्यालय से पूरी की। वह आईआईटी-बॉम्बे के पूर्व छात्र भी हैं, उन्होंने बी टेक (सिविल इंजीनियरिंग) में स्नातक किया है। सिविल सेवा परीक्षा में शुभम का यह पहला प्रयास नहीं था। वह 2019 में उसी के लिए उपस्थित हुए थे और उन्होंने रैंक 290 प्राप्त की थी। वह यूपीएससी परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले बिहार के तीसरे व्यक्ति हैं। अगर हम जाती से आगे बढ़कर सुभम की तरक्की की और ध्यान दे तो हमे बहुत कुछ देखने को मिलेगा । इस साल शुभम कुमार ने वैकल्पिक विषय के रूप में मानव विज्ञान के साथ यूपीएससी 2020 परीक्षा के लिए क्वालीफाई किया। शुभम की खबर ने इंटरनेट पर कब्जा कर लिया है और पूरे ट्विटर पर लोग उन्हें बिहार का प्रतिनिधित्व करने के लिए बधाई दे रहे हैं। यहां तक ​​कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी उनकी कड़ी मेहनत के लिए उन्हे सहारा है ।