रिक्शा चालक का बेटा 21 साल की उम्र में IAS बनकर अपने पिता का मान बढ़ाया, पूरी कहानी जानकर भावुक हो जाएंगे

डेस्क: आप लोगों ने एक कहावत तो जरूर सुना होगा, अगर किसी भी चीज़ को दिल से चाहो तो सारी कायनात उसे तुम से मिलाने में लग जाती है, लेकिन महज एक कहावत नहीं है.. इसी कहावत को चरितार्थ करके दिखाया है, UP के वाराणसी के रहने वाले गोविंद जायसवाल ने.. उन्होंने 2006 में UPSC एग्जाम को क्रैक कर 48वी रैंक ला कर IAS बनकर अपने पिता का मान बढ़ाया..

IAS गोविंद जायसवाल फाइल फोटो

आपको बता दे की गोविंद के सपने को पूरा करने के लिए जितनी मेहनत उन्होंने की है, उससे कहीं ज्यादा मेहनत उनके पिता नारायण ने भी है। गोविंद के पिता नारायण के पास साल 1995 में 35 रिक्शे हुआ करते थे, लेकिन उनकी पत्नी की बीमारी की वजह से उन्हें अपने 20 रिक्शे बेचने पड़े। हालांकि वह अपनी पत्नी को बचा नहीं सके और उनका साल 1995 में निधन हो गया।

अपने ऑफिस में IAS गोविंद जायसवाल

इसी बीच गोविंद ने साल 2004-2005 में सिविल सर्विसेस यानी UPSC की तैयारी के लिए दिल्ली जाने का प्लान बनाया तो पैसे की कमी पड़ गई। लेकिन, उनके पिता ने ये सपना पूरा करने के लिए बचे 14 रिक्शे भी बेच दिए। अब उनके पास केवल एक ही रिक्शा रह गया, जिसे वह खुद चलाने लगे।

अपने पिता के साथ रिक्शे पर IAS गोविंद जायसवाल

बता दे की गोविंद के पिता ने अपने बेटे की पढ़ाई की खातिर रिक्शा मालिक से रिक्शा चालक बनना स्वीकार कर लिया। 2006 में गोविंद के पिता के पैर में टिटनेस की समस्या हुई, लेकिन बेटे की पढ़ाई में रुकावट ना आए, इसलिए उन्होंने ये बात किसी को नहीं बताई। इधर,गोविंद ने भी अपनी पूरी मेहनत पढ़ाई में लगा दी और साल 2006 में UPSC के पहले ही अटेंप्ट में 48वीं रैंक हासिल की। उनकी इस सफलता ने उनके पिता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।