डेस्क: आप लोगों ने एक कहावत तो जरूर सुना होगा, अगर किसी भी चीज़ को दिल से चाहो तो सारी कायनात उसे तुम से मिलाने में लग जाती है, लेकिन महज एक कहावत नहीं है.. इसी कहावत को चरितार्थ करके दिखाया है, UP के वाराणसी के रहने वाले गोविंद जायसवाल ने.. उन्होंने 2006 में UPSC एग्जाम को क्रैक कर 48वी रैंक ला कर IAS बनकर अपने पिता का मान बढ़ाया..
आपको बता दे की गोविंद के सपने को पूरा करने के लिए जितनी मेहनत उन्होंने की है, उससे कहीं ज्यादा मेहनत उनके पिता नारायण ने भी है। गोविंद के पिता नारायण के पास साल 1995 में 35 रिक्शे हुआ करते थे, लेकिन उनकी पत्नी की बीमारी की वजह से उन्हें अपने 20 रिक्शे बेचने पड़े। हालांकि वह अपनी पत्नी को बचा नहीं सके और उनका साल 1995 में निधन हो गया।
इसी बीच गोविंद ने साल 2004-2005 में सिविल सर्विसेस यानी UPSC की तैयारी के लिए दिल्ली जाने का प्लान बनाया तो पैसे की कमी पड़ गई। लेकिन, उनके पिता ने ये सपना पूरा करने के लिए बचे 14 रिक्शे भी बेच दिए। अब उनके पास केवल एक ही रिक्शा रह गया, जिसे वह खुद चलाने लगे।
बता दे की गोविंद के पिता ने अपने बेटे की पढ़ाई की खातिर रिक्शा मालिक से रिक्शा चालक बनना स्वीकार कर लिया। 2006 में गोविंद के पिता के पैर में टिटनेस की समस्या हुई, लेकिन बेटे की पढ़ाई में रुकावट ना आए, इसलिए उन्होंने ये बात किसी को नहीं बताई। इधर,गोविंद ने भी अपनी पूरी मेहनत पढ़ाई में लगा दी और साल 2006 में UPSC के पहले ही अटेंप्ट में 48वीं रैंक हासिल की। उनकी इस सफलता ने उनके पिता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।