क्यों कभी महिलाएं सोने की पायल नहीं पहनती पाँव में ? क्या कहता है हिन्दू धर्म और इसके पीछे का शास्त्र

सोना पहनना महिलाओं की पहली पसंद होता है। इनके पास सोने के बहुत से गहने होते हैं, लेकिन एक बात ध्यान देने वाली है कि कोई भी महिला कभी भी अपने पैरों में सोने के गहने नहीं पहनती है। पैरों में सोने के आभूषण न पहनने की परंपरा सदियों पुरानी है। इस लेख में जानिए क्यों।

भारत में शरीर पर सोने, चांदी और हीरे के आभूषण पहनने की परंपरा सदियों पुरानी है। भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में महिलाओं द्वारा सोने और चांदी के आभूषण पहनना उनकी सुंदरता का एक अभिन्न अंग है, सोना महिलाओं की पहली पसंद होता है। भारत में विवाहित महिलाएं सोने और चांदी के गहने पहनती हैं, लेकिन आपने देखा होगा कि सोने के गहने सिर्फ कमर तक ही पहने जाते हैं। सोना कभी भी पैरों में नहीं पहनना चाहिए। पैरों में ज्यादातर चांदी के आभूषण पहने जाते हैं। इसके पीछे का कारण बहुत कम लोग जानते हैं, लेकिन भोपाल के ज्योतिषी और वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बताते हैं कि इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण क्या हैं।

पैरों में सोना न पहनने के धार्मिक कारण: हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोने को भगवान विष्णु की प्रिय धातु कहा जाता है और इसे देवी लक्ष्मी का रूप भी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि पैर के आभूषण जैसे पायल या बिछुआ सोने की धातु से बने होते हैं और पहनने पर देवी-देवताओं का अपमान होता है। सोने को कमर के नीचे नहीं पहना जाता क्योंकि इसे देवी लक्ष्मी का रूप माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से देवी लक्ष्मी अप्रसन्न हो जाती हैं और व्यक्ति को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। वहीं पैरों में सोना पहनना भगवान विष्णु को नाराज कर सकता है।

पैरों में सोना न पहनने के वैज्ञानिक कारण: वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विज्ञान के अनुसार सोने के गहने शरीर में गर्मी बढ़ाते हैं जबकि चांदी के गहने शरीर को ठंडक पहुंचाते हैं। कमर के ऊपर सोने के आभूषण और कमर के नीचे चांदी के आभूषण धारण करने से शरीर का तापमान संतुलित रहता है।

शरीर पर केवल सोने के आभूषण धारण करने से पूरे शरीर में ऊर्जा का एक समान प्रवाह होता है, जो शरीर को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकता है। वहीं अगर शरीर में संतुलित मात्रा में सोने और चांदी के आभूषण पहने जाएं तो कई शारीरिक समस्याओं से बचा जा सकता है।