Desk : ट्रेन का सफर तो हम अक्सर करते रहते हैं लेकिन क्या आपने कभी नोटिस किया है कि ट्रेन की पटरी पर नुकीले पत्थर होते हैं।अगर नहीं किया तो अगली बार के सफर में जरूर कीजिएगा। दरअसल इन नुकीले पत्थरों को बैलेस्ट कहते हैं और यह बरसात में या समय के साथ पटरी के नीचे की जमीन खिसके नहीं इसके लिए इस्तेमाल होते हैं, इसके अलावा ये मिट्टी को पकड़ने का काम,घास फूस को उगने से रोकने का काम और ट्रेन के कंपन को एब्जॉर्ब करने का काम भी करते हैं, जिससे ट्रेन किसी दुर्घटना का शिकार ना हो।
खास बात ये है कि ये पत्थर आपको छोटे स्टेशनों पर देखने को मिल जाएंगे लेकिन बड़े स्टेशनों पर ये नहीं दिखते हैं। आखिर ऐसा क्यों,इसकी वजह हम इस आर्टिकल में जानेंगे दरअसल, इसकी वजह है बड़े स्टेशन की साफ-सफाई. ट्रेनों के कोच पहले आईसीएफ (इंटिग्रल कोच फैक्ट्री) में बनाए जाते थे और डिब्बों में ओपन डिस्चार्ज टॉयलेट होते हैं. यानी यात्री का मल-मूत्र सीधे पटरी पर गिरता था. अब भी कई ट्रेनों में यही टॉयलेट हैं.
अब बड़े स्टेशनों पर गाड़ी लंबे समय के लिए रुकती है और लोग इस दौरान टॉयलेट का इस्तेमाल करेंगे ही इससे सारी गंदगी सीधे पटरियों पर ही गिरेगी,और अगर नुकीले पत्थर या बैलेस्ट पटरी पर होंगे तो बाद में उन्हें साफ करना बेहद मुश्किल हो जाएगा,इसलिए बड़े स्टेशनों पर पटरियों को कंक्रीट की ढलाई पर बनाया जाता है. इससे पटरियां सुरक्षित भी रहती हैं और पटरियों को बड़े पाइपों से पानी मारकर साफ करने में भी आसानी होती है।