पिस्ता आखिर इतना महँगा क्यों होता है ? सिर्फ इस कारण हर कोई नहीं खरीद सकता इसको

डेस्क : पिस्ता ना केवल स्वास्थ्य के लिए बल्कि खूबसूरती के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन-बी6, पोटेशियम और कॉपर होता है जो हमारे लिए बेहद गुणकारी है। इसे सबसे महंगा ड्राई फ्रूट कहा जाता है। इसकी कीमत हमेशा आसमान छूती रहती है।

जिससे आम लोगों को यह कभी-कभी खाने का मौका मिलता है। लेकिन आखिर इस के महंगे होने का कारण क्या है? विज्ञान की माने तो पिस्ता की खेती एवं इसके पेड़ों की देखभाल करना बेहद कठिन होता है। यह कितना लाभकारी है इस बात को हम सभी जानते हैं, लेकिन आज हम जानेंगे इसके महंगे होने के पीछे की कहानी क्या है।

पिस्ता की खेती और देखभाल करना काफी मुश्किल होता है। इसके अलावा इसके पेड़ को तैयार होने में लगभग 15 से 20 साल तक का समय लग जाता है। इसके बाद इसमें फल आते हैं। अन्य भी कई ऐसे कारण हैं, जिसके चलते इसकी कीमत आसमान छू रही होती है और जितनी डिमांड है,उसके मुकाबले सप्लाई नहीं हो पाती। बता दें, कि ब्राजील और कैलिफोर्निया सहित अन्य कई देशों में बड़े पैमाने पर पिस्ते की खेती की जा रही है।

एक साल में बस 22 किलो ही मिलता पिस्ता-

सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट विशेषज्ञ आशीष कुमार के अनुसार, एक पेड़ को तैयार करने में जहां किसानों को 15 से 20 साल का वक्त लगता है। वहीं, इससे उन्हें पिस्ता बहुत ही कम मात्रा में प्राप्त होता है। सामान्यत: एक पेड़ से एक साल में बस 22 किलो पिस्ता का उत्पादन होता है। इसके कारण जितनी मांग होती है उसके मुकाबले उत्पादन बेहद कम होता है। केवल ब्राजील एक ऐसा देश है, जहां हर साल एक पेड़ से करीब 90 किलो पिस्ता मिल जाता है।


जानकारी के अनुसार, पिस्ता बोने के 15 से 20 साल बाद इसमें फल आते हैं। जिससे पिस्ता तैयार किया जाता है। अब इतने समय तक पेड़ की देखभाल करनी पड़ती है। साथ ही इसमें खर्च भी काफी अधिक होता है। पूरी देखभाल के बावजूद यह नहीं कह सकते कि उम्मीद के मुताबिक पिस्ता तैयार हो सकता है। इसके लिए पानी, पैसे, जमीन और मजदूर सब की ज्यादा जरूरत पड़ती है। जिससे इसकी कीमत बढ़ जाती है। इसकी खेती के लिए ज्यादा जमीन की जरूरत होती है। जहां अधिक-से-अधिक पेड़ लगाया जा सके। हालांकि, उत्पादन वैसी नहीं होती और इसके साथ एक खास बात यह भी है कि हर साल पेड़ों में पिस्ता नहीं लगते। एक-एक साल छोड़कर पैदावार होती है। जिसके लिए किसानों को इसकी दो फसल लगाने की जरूरत होती है। पेड़ों के पर्याप्त मात्रा में होने पर भी उत्पादन मांग के मुताबिक नहीं हो पाता है।

छंटाई के लिए अधिक श्रमिकों की आवश्यकता-

इसकी खेती खेती के दौरान काफी अधिक श्रमिकों की जरूरत पड़ती है। एक-एक पिस्ते को हाथों से तोड़कर साफ किया जाता है। क्वालिटी को देखते हुए उन्हें अलग रखा जाता है। इस दौरान यह भी तय किया जाता है कि किसे रखा जाएगा और किसे निर्यात के लिए भेजा जाएगा। ऐसे में श्रमिकों को दी जाने वाली मजदूरी भी इस के महंगे होने का एक कारण है। हेल्थ लाइन रिर्पोट के अनुसार, ब्लड शुगर, वजन और कोलेस्ट्रॉल को कम करने के साथ आंखों को भी स्वस्थ रखता है।