जैसे कि आप सभी ने देखा है कि कई बस स्टैंड हो या फिर रेलवे स्टेशन हो। यहां कई महिलाएं मेकअप कर खड़ी होती है। जिसकी चाल में काफी लचीलापन होता है। जिनका फैशन समय-समय पर अलग-अलग प्रकार के होते हैं। वह महिलाएं जगह-जगह पर जाकर लोगों से पैसे मांगती है, और अपना भरण पोषण करती है। इस महिलाओं को हमारे समाज में किन्नर के नाम से जाना जाता है। लेकिन उनका अस्तित्व हमेशा आम इंसान के लिए एक रहस्य बना हुआ है। किन्नर का अस्तित्व आम इंसानों से बिल्कुल अलग होता है उनके अस्तित्व में दिशा – निर्देश भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं। तो आईए जानते हैं कि आप किन्नर को कैसे पहचान सकते हैं? तथा किन्नर कैसे बनते हैं? यह कुछ सवाल है जिसका जवाब समाज के सभी लोगों को बताने जा रहे हैं ताकि लोग किन्नर के प्रति अपना नजरिया अलग कर सके। अगर आप इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक पढ़े।
किन्नर कौन होते हैं, लड़का या लड़की?
किन्नरों के बीच होती हैं ये हिदायतें एक वर्ग लड़की है और दूसरा वर्ग पुरुष है। महिला किन्नरों में पुरुष लक्षण होते हैं और पुरुष किन्नरों में महिला लक्षण होते हैं। ट्रांसजेंडर मनुष्य जैसे ही उन्हें गोद में लेते हैं, उनके अंगों को देखकर उनके लिंग का पता लगा लेते हैं। इसका सदस्य बनने के बाद, किसी के धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता हो सकती है। किन्नर की सबसे प्रसिद्ध देवी ‘बेसरा माता’ हैं, जिनका सवारी मुर्गा को माना गया है। जिसकी पूजा पूरा समुदाय करता है।
किन्नर समाज में कुछ ऐसे कायदे कानून बनाए गए हैं। जिन पर अमल करना हम सभी के लिए बेहद जरूरी है। किन्नर लोग परिवार की तरह किसी गुरु की पानाहा लेते हैं। और उनके गुरु भी इनकी इनकी रक्षा करते हैं, और उनकी हर जरूरत को पूरा करते हैं। सभी किन्नर जो भी कमाते हैं, वह अपने गुरु को दे देते हैं। फिर बाद में वह गुरु हर एक की उसकी कमाई और जरूरत के मुताबिक पैसा देते हैं और कुछ पैसे जो कि भविष्य के लिए रख देते हैं।
किन्नर समाज के कायदे और कानून कौन – कौन है
किन्नर समाज में सभी किन्नर अपने गुरु को ही मां-बाप और सरपरस्त मानते हैं। हर किन्नर को अपने गुरु की उम्मीद पर खड़ा उतरना होता है। जो ऐसा नहीं कर पाते हैं उन्हें ग्रुप से बाहर निकाल दिया जाता है। हर गुरु के अपने अपने अलग कायदे और कानून होते हैं इन्हें तोड़ने वालों को ग्रुप से बर्खास्त कर दिया जाता है। तथा हर एक किन्नर का एक तारा कम कमाना जरुरी होता है जो ऐसा नहीं कर पाते हैं उसे दूसरे काम करवाया जाता है।
किन्नर का रहन-सहन सामान्य मनुष्य से बिल्कुल भिन्न होता है और मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार भी बहुत ही गुप्त तरीके से किया जाता है कम लोग ऐसा जानते हैं कि किन्नर अपने आराध्य देव अराउंड से साल में एक बार विवाह करते हैं वह बात और है कि यह शादी सिर्फ एक दिनों के लिए मानी जाती है किन्नर समाज में नए साथी को शामिल करने से पहले नाच गान और सामूहिक भोज अथवा रीति रिवाज किया जाता है।
किन्नरों का रहन-सहन सामान्य मनुष्यों से बिलकुल अलग है. मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार भी बहुत ही गुप्त तरीके से किया जाता है. कम लोग जानते हैं लेकिन किन्नर अपने आराध्य देव अरावन से साल में एक बार विवाह करते हैं, वो बात और है कि यह शादी सिर्फ एक दिन के लिए होती है. किन्नर समाज में नए साथी को शामिल करने से पहले नाच-गाना और सामूहिक भोज का रीत-रिवाज भी है।
पुराणों में किन्नरों का विशेष स्थान रहा है!
कहा जाता है कि राजा-महाराजाओं के शासनकाल में किन्नरों को राजदरबार में नाचने-गाने के लिए रखा जाता था। मुगल काल के दौरान इनका उपयोग राजकुमारियों के रक्षक के रूप में किया जाता रहा है।
किन्नरों को किसी भी युग में सम्मान नहीं मिला है।
वहीं अगर मौजूदा दौर की बात करें तो ये लोग शादी-ब्याह में नाच-गाना या बच्चे के जन्म का जश्न मनाकर अपनी कमाई करते हैं। ऐसा माना जाता है कि किन्नर समुदाय के सहयोग से जिस परिवार को आशीर्वाद मिलता है, वह खूब फलता-फूलता है। पुराने समय में इंसान अपनी कॉल का पैसा निकालकर अपनी जेब भरते थे।
आम तौर पर अभी भी यह धारणा है कि किन्नरों को अब कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। पुराणों में भी किन्नरों का एक विशिष्ट स्थान है। महाभारत में भीष्म की मृत्यु का कारण एक किन्नर को बताया गया है, जिसका नाम शिखंडी था। इसके अलावा पुराणों में किन्नरों को दिव्य गायक कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि वे कश्यप की संतान हो सकते हैं और हिमालय के भीतर रहते हैं। इसी प्रकार वायुपुराण के अनुसार किन्नर अश्वमुख के पुत्र हुए हैं। उसके अनेक व्यक्ति थे और होंगे
दुनिया के विभिन्न हिस्सों में किन्नरों की स्थिति
दक्षिण एशिया में किन्नरों की बहुत बड़ी आबादी है, इस तथ्य के बावजूद कि समाज में उनके लिए कोई विशेष क्षेत्र नहीं है। बांग्लादेश में स्थिति और भी खराब है। भयानक परिस्थितियों के कारण बांग्लादेश से बड़ी संख्या में किन्नर भारत आये हैं। अमेरिका में किन्नरों की प्रतिष्ठा अन्य देशों की तुलना में काफी बेहतर है, लेकिन अमेरिका में भी किन्नर सेना का हिस्सा बनकर उभरने में सक्षम नहीं हैं।
भारत की बात करें तो साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी दस्तावेजों में इन्हें एक तिहाई लिंग के रूप में चिन्हित किया है। उन्हें केंद्रीय सरकारी नौकरी में स्थान मिल सकता है। आप स्कूल या कॉलेज जाना भी छोड़ सकते हैं। लेकिन भारतीय समाज में अब किन्नरों को भारतीय नागरिकों जैसा दर्जा नहीं है। कई विश्वविद्यालयों में शोधकर्ता किन्नर मनुष्यों के गीतों और साहित्य का विश्लेषण कर रहे हैं। इन सब के साथ, कड़वी सच्चाई यह है कि ट्रांसजेंडर समुदाय की लड़ाई अभी भी समाज में अस्तित्व का एक आम तरीका बनी हुई है। इनके प्रति आम इंसानों की मानसिकता में कोई खास बदलाव नहीं आया है।