जब साबुन नहीं था तब इस तरह से कपड़े धोते थे भारत के लोग, जाने अनोखा और सरल तरीका

डेस्क : आज के समय में साबुन सर्फ हो जाने के चलते मिनटों में लोग कपड़े धो लेते हैं। पहली बार ब्रिटिश कम्पनी लिवर ब्रदर्स इंग्लैंड ने भारतीय बाजार में साबुन को उतारा था। लेकिन क्या आपको पता है कि उससे पहले भारत के लोग किस तरह से कपड़े को साफ करते थे। आज हम बताने जा रहे हैं कि जब साबुन नहीं था तो किस तरह से कपड़ों की सफाई होती थी।

कपड़ों के साफ करने के लिए रीठा के छिलकों से निकले झाग का इस्तेमाल किया जाता था। जो कपड़ों को आसानी से बेहद चमकदार और साफ कर देता था। आज भी महंगे और शानदार कपड़ों की सफाई के लिए रीठे का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही बालों को धोने के लिए भी रिठा का इस्तेमाल किया जाता है। भारत में आज भी काफी लोग बालों को धोने के लिए रीठा का उपयोग करते हैं।जब साबुन नहीं था तो आम लोग कपड़े की सफ़ाई करने के लिए गरम पानी का उपयोग करते थे।

पहले कपड़ो को धोने के लिए गर्म पानी में डुबो देते थे और पत्थर पर पीट कर साफ करते थे। तब तक रिठा के बारे में किसी को नहीं पता था। कहते हैं कि आज भी धोबी घाट पर कपड़ों की सफाई करने के लिए पुराने तरीकों का ही इस्तेमाल किया जाता है।बता दे कि रीठा को महंगे और मुलायम कपड़ों को धोने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता था। इसके लिए सबसे पहले रीठे को पानी में भींगने के लिए डाला जाता था, जिससे उसमें झाग निकलने लगता है और फिर उसे कपड़े पर डाला जाता है। किसी लकड़ी या पत्थर से रगड़ कर उसे चमकाया जाता है। इससे कपड़े साफ़ होने के साथ-साथ कपड़े कीटाणु रहित भी हो जाते हैं। हालांकि, रीठा ऑर्गेनाइज होता है, इसलिए इससे किसी तरह का रिएक्शन होने का खतरा भी नहीं होता।