रेल इंजन पर लिखे इस यूनिक कोड का क्या है मतलब ?जानिए यहां

डेस्क : रेल से यातायात करना सभी के लिए काफी सुलभ होता है। भारत में रोजाना करोड़ों लोग रेल से यात्रा करते हैं। अन्य साधनों की अपेक्षा ट्रेन का सफर सस्ता और सुलभ होता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं ट्रेन से जुड़ी कुछ खास बातें जो शायद आपने कभी गौर नहीं किया होगा।

आपने देखा होगा कि ट्रेन के इंजन के आगे एक यूनिक कोड लिखा हुआ होता है। जिसमें अल्फाबेट के साथ अलग नंबर होता है और इन सभी के अलग-अलग मतलब भी होते हैं। ट्रेन के इंजन पर लिखे गए इन नंबरों से उनकी खासियत का पता चलता है। यानी कि इंजन, डीजल या बिजली से चलेगा। सवारी गाड़ी है या मालगाड़ी इन कोड से अन्य भी चीज़ों का पता लगाया जाता है। इंजन दो तरह के होते हैं, जिनमें कुछ डीजल से चलते हैं और कुछ बिजली से।

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पहला अक्षर : रेलवे में तीन तरह की लाइनें होती हैं- बड़ी लाइन, छोटी लाइन और संकरी लाइन। जिसे रेलवे की भाषा में ब्रॉड गेज, मीटर गेज और नैरो गेज कहा जाता है। नैरो गेज अधिकतर पहाड़ी इलाकों में होते हैं। इनमें ब्रॉड गेज के लिए w, मीटर गेज के लिए y और नैरो गेज के लिएZ का इस्तेमाल किया जाता है।

दूसरा अक्षर : दूसरे अक्षर से इस बात का पता चलता है कि इंजन किस चीज से चल रहा है। इंजन के लिए डीजल का इस्तेमाल किया जा रहा है तो डी होगा। ईंजन के कई प्रकार हैं जिन्हें तस्वीरों में देखा जा सकता है। दिए गए अक्षरों से ही इन्हें अलग -अलग कैटेगरी में रखा जाता है।

तीसरा अक्षर : तीसरे अक्षर से पता चलता है कि इंजन का इस्तेमाल किस लिए किया जा रहा है। यदि इंजन पर एम लिखा हुआ है तो इसका मतलब है किसका इस्तेमाल सवारी गाड़ी और मालगाड़ी दोनों के लिए किया जाता है। वही जिस पर जो लिखा हुआ होता है उसका इस्तेमाल केवल मालगाड़ी के लिए ही किया जाता है।

चौथा अक्षर : इंजन के चौथे और पांचवें अक्षर से मतलब होता है की इंजन कितने हॉर्स पावर का है। इसे एचपी से दर्शाया जाता है। यहां की तस्वीर में 3D दिया हुआ है जिसका मतलब 3300 हॉर्स पावर है। पहले के इंजनों में 2D लिखा हुआ आता था, जिसमें 2600 हॉर्स पावर होता था। इंजन के अंदर भी कई प्रकार होते हैं जिनके हॉर्स पावर अलग-अलग होते हैं।