Superwoman Syndrome : क्या है सुपर वुमन सिंड्रोम, कहीं आप भी तो इस से पीड़ित नहीं! जानिए…

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Superwoman Syndrome : आज की इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में जहां महिला और पुरुष कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं और यह होना भी चाहिए लेकिन आधुनिकता की दौड़ में कहीं ना कहीं महिलाएं अपना ध्यान देना भूल रही हैं। घर और ऑफिस दोनों संभालने के चक्कर में अक्सर महिलाओं में परफेक्शनिस्ट होने का प्रेशर होने लगता है। इसमें कुछ हिस्सा समाज का तो कुछ उनका खुद का भी होता है, जिस वजह से उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है और यह रूप ले सकता है सुपर वुमन सिंड्रोम का (Superwoman Syndrome)। तो आइए जानते हैं क्या है यह सुपर वूमेन सिंड्रोम।

क्या है सुपर वुमन सिंड्रोम (What is Superwoman Syndrome)

सुपर वुमन सिंड्रोम ज्यादातर अधिक उम्र की महिलाओं में होता है, इसके अलावा यह कामकाजी, हाउसवाइफ (House Wife) या सोशल एक्टिविस्ट (Social Activist ) में भी होता है। इस सिंड्रोम से ग्रसित महिला हर काम को बहुत अच्छे से करने का दबाव महसूस करती है। इसके अलावा उनमें चिंता और अवसाद के लक्षण भी दिखाई देते हैं, सिंड्रोम से जूझ रही महिला हर काम के लिए खुद को जिम्मेदार मानती हैं, दूसरों की तारीफ के लिए काम करती हैं, इसके अलावा खुद के ऊपर ध्यान नहीं देती हैं जो धीरे-धीरे छोटे से बहुत बड़ा रूप ले लेता है और अवसाद जैसी बीमारियों को जन्म देता है।

अक्सर काम के प्रेशर में महिलाएं खुद का ध्यान देना भूल जाती हैं और इस वजह से उन्हें कई मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से जूझना पड़ता है, आजकल की भागदौड़ में महिलाओं में घर और ऑफिस, दोनों संभालने की जैसे होड़ सी मच गई है। जिस वजह से वह इस सिंड्रोम से ग्रसित हो जाती हैं इसके इतर, डॉक्टरों की माने तो सेरोटनिन हार्मोन की कमी से भी यह सिंड्रोम होता है। बचाव के लिए जरूरी है कि महिलाएं एक बैलेंस बनाए और जरूरी नहीं है कि आप हर वक्त हर क्षेत्र में अच्छी हों, अपने आप को स्वीकार करें और अपनी खूबसूरती को सेलिब्रेट करें क्योंकि आप कुछ भी होने से पहले एक इंसान है।

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