जिन मुग़ल शासकों और सल्तनत को इतिहास में महान दिखाया गया उन्होंने बहुसंख्यक हिंदू महिलाओं को बड़े पैमाने पर यौन दासी यानी सेक्स स्लेव्स बनाया था। इस लिस्ट में सबसे पहला नाम आता है शाहजहां का, जिसको अपनी बेगम मुमताज महल से बेइंतेहां मोहब्बत करने के लिए जाना जाता है। शाहजहां का हरम सबसे बदनाम था। दिल्ली की बदनाम गलियां जीबी रोड शाहजहां की कामुकता का ही नतीजा है। इतना ही नहीं उसने अपनी बेटी तक को नहीं बख्शा।
अपनी बेटी से ही बनाए सम्बन्ध : मुमताज महल की मौत के बाद शाहजहां ने अपनी बेटी को ही भोगना शुरू कर दिया, कहा जाता है कि मुमताज और शाहजहां की बड़ी बेटी जहाँआरा अपनी मां जैसी ही दिखती थी। इतना ही नहीं शाहजहां ने जहाँआरा का निकाह तक नहीं होने दिया। बाप-बेटी के इस प्यार को देखकर जब महल में चर्चा शुरू हुई, तो मुल्ला-मौलवियों की एक बैठक बुलाई गई और उन्होंने इस पाप को जायज ठहराने के लिए एक हदीस का उद्धरण दिया और कहा-“माली को अपने द्वारा लगाए पेड़ का फल खाने का हक है।”
बेटी के आशिक को जलवाया जिन्दा : शाहजहां अपनी बेटी जहाँआरा के किसी भी आशिक को उसके पास फटकने नहीं देता था। कहा जाता है कि एक बार जहाँआरा जब अपने एक आशिक के साथ इश्क लड़ा रही थी तो शाहजहां आ गया जिससे डरकर वह हरम के तंदूर में छिप गया, शाहजहां ने तंदूर में आग लगवा दी और उसे जिन्दा जला दिया।
पिता से विरासत में मिली 8000 रखेल : शाहजहां के हरम में उसके पिता जहांगीर से विरासत में मिली 8000 रखैलें थीं। उसने पिता से मिली इस संपत्ति को और बढ़ाया। वह हरम की महिलाओं की व्यापक छटनी तथा बुजुर्ग महिलाओं को भगा कर अन्य हिन्दू परिवारों से जबरन महिलाओं को लाकर हरम को बढ़ाता ही रहा। हरम से भगाई गई महिलाओं ने दिल्ली के जीबी रोड पर अपना ठिकाना बनाया और वहीं से फिर शुरू हुआ जिस्म का काला कारोबार। कहा जाता है कि शाहजहां अपने सगे-सम्बन्धियों को जबरन अगवा की गई हिन्दू लड़कियों और महिलाओं को उपहार स्वरूप भेंट किया करता था। शाहजहां यौनाचार के प्रति इतना आकर्षित और उत्साही था कि वह हिन्दू महिलाओं का मीना बाजार लगवाया करता था।
सुप्रसिद्ध यूरोपीय यात्री फ्रांकोइस बर्नियर ने अपनी किताब travels in the mughal empire में इसपर टिपण्णी करते हुए लिखा कि महल में लगने वाले मीना बाजार अगवा कर लाई हुई सैकड़ों हिन्दू महिलाओं को ख़रीदा और बेचा जाता था। राज्य द्वारा बड़ी संख्या में नाचने वाली लड़कियों की व्यवस्था और नपुसंक बनाए गए सैकड़ों लड़कों की हरमों में उपस्थिति, शाहजहाँ की अनंत वासना के समाधान के लिए ही थी। प्यार की मिशाल के तोर पर पेश किए जाने वाले शाहजहां ने अपनी प्रिये बेगम मुमताज महल से शादी करने से पहले और बाद में भी कई शादियां की।
हिन्दुओं के खिलाफ युद्ध में साहस और रूचि : शाहजहां ने शुरुआत से ही हिन्दुओं के खिलाफ युद्ध के लिए साहस व रुचि दिखाई थी। अलग-अलग इतिहासकारों ने लिखा था, “शहजादे के रूप में ही शाहजहां ने फतेहपुर सीकरी पर अधिकार कर लिया था और आगरा शहर में हिन्दुओं का भीषण नरसंहार किया था।” ji शाहजहां की सेना की भयानक बर्बरता का परिचय है। इतना ही नहींहिन्दू नागरिकों को घोर यातनाओं द्वारा अपने संचित धन को दे देने के लिए विवश किया गया और अनेकों उच्च कुल की कुलीन हिन्दू महिलाओं का शील भंग किया गया।
1632 में कश्मीर से लौटते समय शाहजहां को बताया गया कि अनेकों मुस्लिम बनाई गई महिलाओं ने घर वापसी करते ही फिर से हिन्दू धर्म अपना कर शादी कर ली। शाहजहां के आदेश पर इन सभी हिन्दुओं को बन्दी बना लिया गया। उन सभी पर इतना आर्थिक दण्ड थोपा गया कि उनमें से कोई भुगतान नहीं कर सका, तब इस्लाम स्वीकार कर लेने और मृत्यु में से एक को चुन लेने का विकल्प दिया गया।
जिन्होनें धर्मान्तरण स्वीकार नहीं किया, उन सभी पुरूषों का सिर काट दिया गया। हजारों महिलाओं को जबरन मुसलमान बना लिया गया और उन्हें सिपहसालारों, अफसरों और शहंशाह के नजदीकी लोगों और रिश्तेदारों के हरम में भेज दिया गया। हमारे वामपंथी इतिहासकारों ने शाहजहाँ को एक महान निर्माता के रूप में चित्रित किया वह अनेकों कला के प्रतीक सुन्दर हिन्दू मन्दिरों और अनेकों हिन्दू भवन निर्माण कला के केन्द्रों का बड़ी लगन और जोश से विध्वंस करने वाला व्यक्ति था।