आखिरी मुग़ल बादशाह को थी ये वाली बिमारी – इलाज के लिए किया इस चीज पर भरोसा और बुरे फसे

भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना बाबर ने की तो उसका अंतिम शासक बहादुर शाह जफर रहा। मुगल इतिहास में कई शक्तिशाली शासक रहे लेकिन मुगलों के अंतिम शासक को बेहद कमजोर माना जाता है। बहादुर शाह जफर अंतिम मुगल शासक थे उनके बाद भारत में मुगल साम्राज्य का अंत हो गया।


बहादुर शाह जफर के शासन तक भारत में अंग्रेज आ चुके थे। गोरे लोगों के विरोध में बहादुर शाह हिंदुस्तानियों के साथ खड़े हुए। इसके बाद ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें दोषी ठहराया और रंगून (अब का म्यांमार) भेज दिया, जहां उनका निधन हो गया।
बहादुर शाह जफर शारीरिक रूप से बेहद कमजोर थे और अक्सर बीमार रहा करते थे। फकीरों से उनकी बेहद नजदीकी रहती थीं इसलिए वह इलाज के लिए ताबीज और विंडो पर यकीन करते थे। इतना ही नहीं तंत्र विद्या पर भी उनका पूरा विश्वास था।


बहादुर शाह जफर पर इतिहासकार विलियम डेलरिंपल द लास्ट मुगल नाम से कविता लिखें इस कविता के मुताबिक जब वह एक बार बीमार पड़े तो उन्हें लगा उन्हें किसी की नजर लगी है। इसके लिए उन्होंने सूफी पीरों को बुलवाया। उन पीरों ने बहादुर शाह जफर को कागज पर लिखकर एक ताबीज दिया और कहा इसे घोलकर पी लेने से आप बुरी नजर से बचे रहेंगे।


पाइल्स के लिए पहनते थे खास नग वाली अंगूठी : विलियम अपनी किताब में आगे लिखते हैं कि बहादुर शाह जफर पाइल्स की बीमारी से पीड़ित थे उन्हें अक्सर पेट से संबंधित बीमारियां रहती थी। जो उन्हें परेशान करती थी। पाइल्स जैसी बीमारी के लिए बहादुर शाह जफर ने एक ताबीज बनवाया। इतना ही नहीं इस बीमारी से बचने के लिए वह एक खास नग वाली अंगूठी भी पहना करते थे।


काले जादू पर अन्धविश्वास : काला जादू पर विश्वास रखने वाले मुगल बादशाह कभी ऊंट की कुर्बानी दिया करते तो कभी भैंसों की बलि चढ़ाते थे इतना ही नहीं पीरों कहने पर वह जमीनों में अंडे भी गढ़वाते थे। उनके इस अंधविश्वास की हद यह तक थी कि अगर उन्हें किसी व्यक्ति पर काले जादू का शक होता था तो वह उसे गिरफ्तार करवा देते थे।


हिंदू धर्म का करते थे सम्मान : बहादुर शाह जफर हिंदू धर्म का सम्मान करते थे। अन्य मुगल शासकों से हटके उनकी हिंदू धर्म को लेकर एक अलग ही धारणा थी। उन्होंने गौ हत्या पर रोक लगाई थी लेकिन जब 200 मुसलमान एक साथ उनसे इसके लिए आज्ञा लेने आए तो उन्होंने उन्हें फटकार लगाई।