Driving License के लिए नहीं लगाना होगा RTO का चक्कर, अब सिर्फ इस डॉक्यूमेंट से बन जाएगा DL, जाने संशोधित नियम

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न्यूज़ डेस्क: बिना ड्राइविंग लाइसेंस(Driving License) के गाड़ी चलाने वालों के लिए यह खबर आवश्यक है। कई ऐसे लोग हैं, जो इसमें होने वाले दिक्कतों के कारण ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बनवाया है। लेकिन अब घबराने की बात नहीं है। इसे बनबाने हेतु अब क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, नाहीं दलालों के चक्कर में जाना है। दरअसल केंद्र सरकार ने लाइसेंस बनाने के नियमों को बेहद सरल बना दिया है।

DL (Driving License)हेतु ड्राइविंग परीक्षा की अवश्यकता नहीं होगी

मालूम हो कि नियमों में हुए संशोधनों के अनुसार अब किसी किसी प्रकार की कोई चालन परीक्षा RTO जाकर देने की अवश्यकता नहीं पड़ेगी। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने इन नियमों को अधिसूचित किया है, यह नियम इसी माह से लागू हो गया हैं। नए नियम आने से वो लोग जो ड्राइविंग लाइसेंस हेतु RTO के भीड़ से परेशान है, उनके लिए काफी राहत की बात है।

ट्रेनिंग लेनी होगी ड्राइविंग स्कूल जाकर

मंत्रालय के द्वारा यह जानकारी उन आवेदकों को दी गई है जो ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आरटीओ में अपने टेस्ट का प्रतीक्षा कर रहे हैं। बतादें कि अब वे किसी भी मान्यता प्राप्त ड्राइविंग प्रशिक्षण स्कूल में ड्राइविंग लाइसेंस के लिए अपना पंजीकरण करा सकते हैं। आवेदकों को ड्राइविंग प्रशिक्षण स्कूल में प्रशिक्षित किया जाएगा और स्कूल की और से एक प्रमाणपत्र दिया मिलेगा। इसी प्रमाणपत्र आधार पर आवेदकों का ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाएगा।

क्या हैं यह संशोधित नियम

प्रशिक्षण केंद्रों को लेकर सड़क और परिवहन मंत्रालय की ओर से कुछ दिशा-निर्देश और शर्तें भी हैं। जिसमें प्रशिक्षण केंद्रों के क्षेत्र से लेकर प्रशिक्षक की शिक्षा तक शामिल है। आइए इसे समझते हैं। इसे विस्तार में जाने

  1. अधिकृत एजेंसी यह तय करेगी कि दोपहिया, तिपहिया और हल्के मोटर वाहनों के प्रशिक्षण केंद्रों में न्यूनतम एक एकड़ भूमि हो, जबकि मध्यम और भारी यात्री माल वाहनों या ट्रेलरों के लिए केंद्रों के लिए दो एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी।
  2. प्रशिक्षक कम से कम 12वीं पास हो साथ ही कम से कम पांच वर्षो का ड्राइविंग अनुभव रहे, इसके अलावा ट्रैफिक नियमों से अच्छी तरह वाकिफ होना चाहिए।
  3. मंत्रालय की और से एक शिक्षण पाठ्यक्रम तैयार किया गया है। बतादे कि हल्के वाहन चलाने हेतु, पाठ्यक्रम की अधिकतम अवधि 4 हफ्ते तक होनी है वो 29 घंटों तक चलाई जाएगी। इतना ही नहीं इन ड्राइविंग सेंटर्स के सिलेबस को 2 भागों में बांटा जाएगा। सिद्धांत और व्यावहारिक।
  4. इन स्कूलों में आवेदकों को बुनियादी सड़कों, ग्रामीण सड़कों, राजमार्गों, सहित सभी पूर्णरूप से सीखने के लिए उन्हें अपने 21 घंटे इसमें लगाने होंगे। सिद्धांत भाग पूरे पाठ्यक्रम के 8 घंटे को कवर करेगा, इस प्रशिक्षण में सड़क शिष्टाचार, रोड रेज, यातायात शिक्षा, दुर्घटनाओं के कारणों को जानना, प्राथमिक चिकित्सा और ड्राइविंग ईंधन दक्षता को समझना शामिल रहेगा।
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