Mother’s Right on Deceased Son’s Property : देश में संपत्ति बटवारे को लेकर हमेशा से विवाद रहा है। इन सभी विवादों के पीछे का कारण उत्तराधिकार कानून के बारे में सही जानकारी न होना भी है। दरअसल यह तो पता होता है कि माता पिता की संपत्ति में बच्चो का क्या अधिकार है।
लेकिन बेटे की संपत्ति में मां का क्या अधिकार है यह शायद ही किसी को पता हो। इस कानून की जानकारी न होने पर कई बार बेटी की मृत्यु के पश्चात मां अपनी जीवन वृद्ध आश्रम में गुजारने को मजबूर होती है। आइए इस कानून को जानते हैं।
क्या है कानून
कई ऐसे मामले सामने आते हैं जिनमें मृत बेटे की संपत्ति में मां को हक नहीं मिलता, जो कि कानून के खिलाफ है, लेकिन कई मांओं को इस बारे में पता भी नहीं चलता और वह वृद्धाश्रम में अपनी जिंदगी गुजारने लगती हैं। लेकिन भारतीय कानून की मदद से वह अपने अधिकारों के लिए लड़ सकती है।
जानिए मृत बेटे की संपत्ति में मां का क्या है अधिकार?
आपको बता दें कि एक मां को अपने मृत बेटे की संपत्ति में उतना ही हिस्सा मिलता है जितना उसकी पत्नी और बच्चों को मिलता है। साथ ही, यदि पति की संपत्ति का बंटवारा हो जाता है, तो उसकी पत्नी को भी उस संपत्ति में अपने बच्चों के समान अधिकार प्राप्त होता है।
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 8 के अनुसार, जो बच्चे की संपत्ति पर माता-पिता के अधिकारों को परिभाषित करता है। इसके तहत मां बच्चे की संपत्ति की पहली वारिस होती है, जबकि पिता बच्चों की संपत्ति का दूसरा उत्तराधिकारी होता है। यदि मृत व्यक्ति के जीवित रहने पर उसकी माँ, पत्नी और बच्चे हैं, तो संपत्ति माँ, पत्नी और बच्चों के बीच समान रूप से विभाजित की जाती है।
विवाहित और अविवाहित हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार, यदि पुरुष अविवाहित है तो उसकी संपत्ति पहले उत्तराधिकारी, उसकी मां और दूसरे उत्तराधिकारी, उसके पिता को हस्तांतरित की जाएगी। यदि मां जीवित नहीं है तो संपत्ति पिता और उसके सह-उत्तराधिकारियों को हस्तांतरित कर दी जाएगी। यदि मृतक एक हिंदू विवाहित पुरुष है, और बिना वसीयत के मर जाता है, तो उसकी पत्नी को हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अनुसार संपत्ति विरासत में मिलेगी। ऐसे मामले में, उसकी पत्नी को कक्षा 1 उत्तराधिकारी माना जाएगा।