यदि विमान में छेद है तो क्या होगा इसका असर, हो जाय सावधान

दुबई से ब्रिस्बेन के लिए उड़ान भरने वाले अमीरात के विमान में बड़ी दुर्घटना होते-होते बची। सफर शुरू होने के 14 घंटे बाद जब फ्लाइट ब्रिस्ब्रेन (Brisbane) पहुंची तब यात्रियों ने देखा इसमें एक छेद था। यात्रियों का बताया कि जब उड़ान भरने के 45 मिनट बाद धमाके जैसी आवाज सुनाई दी तब स्टाफ से पूछा गया। लेकिन उन्होंने किसी भी गड़बड़ी से इंकार कर दिया। इसके बाद सफर के दौरान फ्लाइट में फूड सर्विस रोक दी गई। साथ ही लैंडिंग से पहले जानकारी दी गई कि विमान को दूसरे रनवे पर उतारा जा रहा है।

रैंकर की रिपोर्ट के अनुसार, दुर्घटना कितनी गंभीर होगी, यह छेद का आकार कितना बड़ा है इसपर निर्भर करता है। अगर छेद छोटा है तो फ्लाइट के अंदर मौजूद दबाव पर ज्यादा असर नहीं पड़ता, क्योंकि इससे बैलेंस नहीं बिगड़ता है। उदाहण के लिए विमान की खिड़की से समझ सकते है। विमान की खिड़की में एक छोटा सा छेद होता है। इसे ब्लीड होल कहते हैं। प्लेन के अंदर हवा का दबाव कम होने के कारण यात्रा के दौरान यात्री सांस ले पाते हैं।इस दबाव को मेंटेन करने का काम विमान में लगी शीशे की खिड़की में बना छोटा सा ब्लीड होल करता है। तो इसलिए कहा जा सकता है कि विमान में यदि छोटा छेद है तो नुकसान नहीं पहुंचता।

रिपोर्ट की मानें तो अगर किसी कारण खिड़की के आकार डैमेज होता है या खिड़की में ही कोई डैमेज होता है तो उससे रिस्क बढ़ता है। सबसे पहले ऐसी स्थिति में हवा का दबाव बिगड़ता है। इस दबाव के चलते मौत भी हो सकती है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि जब दबाव बढ़ना शुरू होता है तो सीधा इसका असर नाक और कान में ब्लड पहुंचाने वाली धमनियों पर पड़ता है। हमारा शरीर इतना दबाव नहीं झेल पाता। वहीं अचानक से दबाव का तालमेल बिगड़ने पर विमान में धमाका भी हो सकता है।

साल 1988 में एक ऐसा ही मामला सामने आया था। अलोहा एयरलाइन-243 में कॉकपिट का दरवाजा ही डैमेज हो गया था। इसकी सूचना कप्तान ने दी। कारण सामने आया कि विमान में छेद होने के कारण विस्फोटक हुआ और जिससे छत का एक बड़ा हिस्सा फट गया। इस छेद के कारण हवा का दबाव बिगड़ा और फ्लाइट अटेंडेंट सीधे बाहर गिर गया। रिपोर्ट के मुताबिक, जब ऐसे हालात में हवा का दबाव गड़बड़ होता है तो सीधे अंदर की चीजें बाहर की ओर खिंचने लगती हैं। इस तरह सब कुछ अव्यवस्थित हो जाता है। ऐसे हालातों में विमान की जल्द से जल्द सुरक्षित लैंडिंग न होने पर मौत का खतरा भी बढ़ता है।