डेस्क : अप्रैल 2022 से हाईवे पर सफर करना महंगा हो गया है। इसके पीछे की वजह यह है कि एनएचएआई ने Toll Tax में ₹10 से ₹65 तक की बढ़ोतरी कर दी है। हल्के वाहनों को पहले के मुकाबले ₹10 और भारी कमर्शियल वाहनों को पहले के मुकाबले ₹65 टोल से गुजरने के दौरान अधिक टैक्स देने होंगे। टोल टैक्स बढ़ने के बाद अब लोगों के मन में एक सवाल है कि आखिर हाईवे पर जो टोल वसूला जाता है उसकी गणना किस तरह से की जाती है।
लोग यह जानना चाहते हैं कि हाईवे पर गाड़ियों को कितना टोल देना होगा,यह किस आधार पर तय होता है। आइए हम आपको बताते हैं कि टोल टैक्स किस आधार पर तय होता है और बड़ी गाड़ियों का टोल किस कारण से अधिक होता है।इससे पहले आपको बता दें कि यह टोल टैक्स क्यों लिया जाता है? दरअसल, भारत में हर राज्य या फिर राष्ट्रीय राजमार्ग/ एक्सप्रेस वे पर सड़कों के निर्माण के साथ-साथ रखरखाव के लिए किए गए खर्च को लेकर एक शुल्क वसूल किया जाता है, जिसे टोल कहा जाता है और यह एक तरह का टैक्स होता है। एक बार राजमार्ग की लागत वसूली होने के बाद सड़क के रखरखाव के उद्देश्य से 40% की कम दर पर शुल्क लिया जाता है।
टोल टैक्स कैलकुलेट करने के पीछे कई सारी चीजों का ध्यान रखा जाता है। टोल टैक्स की गणना के लिए हाईवे की दूरी भी निर्भर करता है। सामान्यत: 60 किलोमीटर का यह होता है और उसके कम या ज्यादा होने पर टैक्स में भी बदलाव कर दिया जाता है। लेकिन 60 किलोमीटर को मानक माना जाता है। अब अगर इसमें दूरी में ब्रिज, टनल या बायपास आदि शामिल होते हैं तो उसका टोल भी बदल जाता है। साथ ही हाईवे की चौड़ाई एग्रीमेंट एप्लीकेबल फीस हाईवे की लागत और वहां की स्थिति पर भी यह निर्भर होता है।सरकारी जानकारी के मुताबिक, आधार वर्ष 2007-08 के लिए 4 या अधिक लेने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के सेक्शन के उपयोग के लिए फीस की दर, ऐसे सेक्शन की लंबाई को नीचे की तरफ से गुणा करने पर प्राप्त गुणनफल होगी।
इसके तहत कार,जीप, वैन अन्य हल्के मोटर यानी की प्रति किलोमीटर फीस की आधार दर 0.65 हल्का वाणिज्यिक यान, हल्के माल यान या फिर मिनी बस 1.05, बस और ट्रक 2.20, भारी निर्माण मशीनरी या बहुधूरिय यान 3.45 रुपए आधार पर वैल्यू/ मीटर तक है।आपको बता दें कि इसमें लागत के आधार पर बदलाव हो जाती है । जैसे की दुल्हन वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के सेक्शन और जिस पर उन्नयन के लिए औसत विनीत हान 1 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर से अधिक हो गया है और 60 प्रतिशत फीस की दर होगी।सरकारी जानकारी के मुताबिक 1 अप्रैल 2008 से प्रशमन के बिना हर वर्ष 3% तक बढ़ाई जाएगी और बढ़ाई गई ऐसी दर आगामी वर्षों के लिए एक आधार दर मानी जाएगी। इसके लिए भी एक सूत्र इस्तेमाल करना होता है और उसी से इसकी गणना की जाती है।यह वाहन के आकार के साथ ही उनके द्वारा उठाए जाने वाले भार और सड़क हुए नुकसान पर भी निर्भर करता है। वाहन के उपयोग के प्रकार और आधार को ध्यान में रखते हुए टोल टैक्स अलग-अलग हो सकता है।