Train में कितने गियर होते हैं ? जानकार यकीन नहीं होगा लेकिन सच है ये बात

डेस्क : आज के समय में शहर से लेकर गांव तक बिछी पटरियों के ऊपर दौड़ती रेलगाड़ी जनमानस की जीवन का अहम हिस्सा बन चुकी है, बता दें कि इस वक्त भारत में कई लोग ट्रेन से सफर करते हैं। ट्रेन की कुछ अहम जानकारियों को आज भी हम बिल्कुल नहीं जानते हैं। इन जानकारियों से आज हम आपको अवगत करवाने वाले हैं। आज हम आपको बताएंगे कि आखिर ट्रेन में कितने गियर होते हैं?

आज आपको यह मालूम चलेगा की जब ट्रेन सबसे ज्यादा रफ्तार में होती है तब वह किस गियर पर चलती है। इस तरह के तमाम सवालों का जवाब आज आपको मिल जाएगा। दरअसल यह जानकारी खुद एक लोको पायलट द्वारा साझा की गई है। लोकोपायलट के द्वारा उसकी निजी जानकारी को साझा ने करने की सलाह दी गई है, जिसके तहत हम किसी सरकारी कर्मचारी का नाम नहीं बता सकते लेकिन उसके द्वारा दी गई जानकारी को जरूर साझा कर सकते हैं।

लोको पायलट के अनुसार एक रेलगाड़ी में जो गियर मौजूद होते हैं वह एक आम गाड़ी की तरह ही होते हैं। रेलगाड़ी के गियर को नोच कहा जाता है, ऐसे में डीजल लोकोमोटिव इंजन और इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजन की बनावट अलग-अलग होती है, जिसके चलते उनके नोच अलग तरीके से तैयार किए जाते हैं।

Train Engine Weight

डीजल वाले लोकोमोटिव इंजन में 8 गियर/नोच दिए जाते हैं। ट्रेन की रफ्तार उसके इंजन पर निर्भर करती है और इंजन की ताकत सेक्शन पर निर्भर करती है सेक्शन का सीधा अर्थ यह होता है कि जिस पटरी पर रेलगाड़ी चल रही है उस पटरी की कितनी क्षमता है। आखिर पटरी किस हद तक ट्रेन की रफ्तार को संभाल लेगी। इस प्रकार की चीजें एक रेलवे अधिकारी को पता होनी चाहिए। दरअसल इसी के आधार पर वह ट्रेन के गियर को सही समय पर नियंत्रित कर सकते हैं।

यदि इन गियर या फिर नोच को फिक्स कर दिया जाता है तो ट्रेन एक समान रफ्तार पर दौड़ती रहती है। वही जब ट्रेन 8वें नोच पर जाती है तो ट्रेन 100 किलोमीटर की रफ्तार पकड़ लेती है, वहीं पर जब गति कम करनी हो तो मुझको धीरे-धीरे नीचे कर दिया जाता है। ऐसे में ट्रेन की रफ्तार भी धीमी पड़ जाती है।

आज तक इंडियन रेलवेज में किसी भी लोकोमोटिव इंजन की फुल स्पीड की टेस्टिंग नहीं की गई है। जितनी क्षमता का इंजन तैयार किया जाता है उसकी पूरी क्षमता के अनुसार रेलगाड़ी को कभी पटरी पर नहीं चलाया जाता है। फिलहाल के लिए तो डीजल इंजन की जगह इलेक्ट्रिक इंजन आ गए हैं, जिनमें ऑटोमेटिक गियर शिफ्ट यानी कि नोच शिफ्ट हो जाता है।