डेस्क : आज के समय में महिलाओं को लेकर मेडिकल साइंस ने काफी तरक्की कर ली है। महिला अपनी प्रेगनेंसी को रोकने के लिए गर्भनिरोधक दवाओं का इस्तेमाल करती हैं। इन दवाओं को सही से लिया जाए तो 100 % तक प्रेगनेंसी रुक जाती है। अक्सर ही हुए दिमाग में यह सवाल आता है की आखिर यह दवाएं शरीर में जाके प्रेगनेंसी को कैसे रोकती है। आज के लेख में हम यही जानेंगे।
गर्भनिरोधक दवाओं में कृत्रिम रूप से एक स्टेरॉयड हॉर्मोन डाला जाता है। जैसे ही यह हारमोन महिआओं के शरीर के भीतर प्रवेश करता है तो FSH और LS को ख़तम कर देता है जो महिलाओं की पिटुटरी ग्लैंड से आता है। इसके बाद जाकर महिलाओं की प्रेग्नैंसी रुक जाती है। जैसे ही यह दवा FSHऔर LS को काम करने से रोकती है वैसे ही ओवुलेशन की प्रक्रिया भी थम जाती है। ऐसे में महिला के भीतर भ्रूण नींव ही नहीं तैयार हो पाती है और बच्चे का पूरा प्रोसेस रुक जाता है।
महिलाओं को हमेशा यह सलाह दी जाती है की यदि वह डाइबटीज, किडनी और अस्थमा जैसी शारीरिक बीमारियों से पहले ही बीमार हैं तो गर्भनिरोधक के इस्तेमाल से पहले डॉक्टर की सलाह ले अन्यथा और कई शारीरिक समस्याएं आ सकती हैं। यह करने से साइडएफेक्ट कम हो जाते हैं। साइडएफेक्ट के तौर पर महिलाओं को कम दिखना, थकान होना, नींद न आना, वजन बढ़ना जैसी समस्याएं आ जाती हैं।
यदि महिलाएं इन दवाओं को बिना किसी की मदद के लेती हैं तो उनके शरीर पर बुरा प्रभाव भी देखने को मिलता है। कई बार महिलाएं चिड़चिड़ा महसूस करती हैं, दुनिया से अलग थलग रहती हैं।