गुलाब जामुन में ना ही गुलाब है और ना ही जामुन, फिर क्यों इस मिठाई का नाम ऐसा? जानिए इसके पीछे की कहानी

डेस्क : आज हम आपको भारतीय खानपान से जुड़ा एक ऐसा रहस्य बताने वाले हैं जो शायद ही आपको पता होगा। भारत में खाने-पीने के मामले में कई लोग उस्ताद है लेकिन उनको भी इस बात का जवाब नहीं पता कि आखिर गुलाब जामुन को गुलाब जामुन क्यों कहते हैं? इस देश में ना ही जामुन है और ना ही गुलाब है, फिर भी इस का नाम गुलाब जामुन है।

दूध के खोये से तैयार होने वाली इस मिठाई को कई नामों से जाना गया. पश्‍चिम बंगाल में इसे पंटुआ, गोलप जैम और कालो जैम के नाम से भी जाना जाता है. मध्‍य प्रदेश का जबलपुर भी गुलाब जामुन के लिए फेमस है. जबलपुर में एक जगह है कटंगी, यहां झुर्रे के रसगुल्‍ले प्रसिद्ध होने के साथ आकार में काफी बड़े भी होते हैं. स्‍वाद और आकार के कारण यहां आने वाला हर इंसान इसका स्‍वाद जरूर चखता है.

दरअसल बात यह है कि ये डिश पर्शिया से आई है और पर्शिया में गुलाब जामुन की तरह ही एक और मिठाई तैयार की जाती है जिसको लोकमत अल-कादी कहा जाता है। यह जानकारी इतिहास वाद माइकल क्रांजल ने बताया है।

अरब देशों में खाई जाने वाली मिठाई लुकमात-अल-कादी और गुलाब जामुन में कई समानताएं हैं. हालांकि इसे तैयार करने का तरीका थोड़ा अलग है. खानपान के इत‍िहास की जानकारी रखने वाले इत‍िहासविद् माइकल क्रोंडल कहते हैं, लुकमात-अल-कादी और गुलाब जामुन दोनों की उत्‍पत्ति पर्शियन डिश से हुई है. दोनों का कनेक्‍शन चाशनी से है.

गुलाब दो शब्दों से मिलकर बना है गुल मतलब की फूल और आब मतलब के पानी। यानी की खुशबू वाला मीठा पानी ऐसे में जब चाशनी को तैयार किया जाता है तो उसमें से खुशबू आती है और वह पानी मीठा हो जाता है जिसके चलते उसे गुलाब कहा जाता है। वहीं दूसरी तरफ खोए से लोई तैयार की जाती है। ऐसे में उसको गहरा रंग देने के लिए तला जाता है और इस वजह से इसकी तुलना जामुन से की जाती है।

एक थ्‍योरी कहती है, पहली बार गुलाब जामुन को मध्‍ययुग में ईरान में तैयार किया गया था. जिसे तुर्की के लोग बाद में भारत लेकर आए, इस तरह भारत में इसकी शुरुआत हुई. दूसरी थ्‍योरी कहती है, एक बार गलती से मुगल सम्राट शाहजहां के बावर्ची से यह तैयार हो गया था. जिसे काफी पसंद किया गया. धीरे-धीरे यह भारत के हर राज्‍य में फेमस हुआ और मिठाइयों का अहम हिस्‍सा बन गया. 

लोगों का मानना है कि सबसे पहले यह मिठाई टर्की में तैयार की गई थी इसके बाद टर्की के लोग इसे भारत में लेकर आए और मुगल सम्राट शाहजहां के दरबार में इसको तैयार करवाया गया। ऐसे में भारत में इस मिठाई को खूब पसंद किया गया और आज के समय में यह खानपान का एक अहम हिस्सा बन गई है।

जब भी मिठाइयों का जिक्र होता है तो गुलाब जामुन की बात जरूर होती है. यह भारतीय खानपान का अहम हिस्‍सा है. दिलचस्‍प बात यह है कि इस खास मिठाई में न तो गुलाब है और न ही जामुन, फिर भी इसे गुलाब जामुन क्‍यों कहते हैं. इस मिठाई का नाम गुलाब-जामुन रखने की सटीक वजह इत‍िहास में दर्ज है. इत‍िहास कहता है, इस मिठाई के नाम का कनेक्‍शन पर्शिया से है. 

फेमस इतिहासवादी माइकल करोंदाल का कहना है कि यह डिश परसिया से निकल कर आई है। गुलाब जामुन के साथ-साथ लोकमान अल-कादी भी एक ऐसी मिठाई है जो चाशनी से तैयार की जाती है। दोनों का स्वाद एक जैसा ही होता है, बता दें कि भारत के पश्चिम बंगाल में इसको पंटुआ के नाम से जाना जाता है। वहीं कुछ लोग गोलप जैम और कालो जैम कह कर बुलाते हैं

Instant Gulab Jamun Recipe by Karan Tripathi (Food Fanatic) - Cookpad

भारत में अलग-अलग जगह पर इसके अलग-अलग नाम दिए गए हैं कहीं पर स्वाद के अनुसार इसको कटंगी बुलाया जाता है तो कहीं पर हलवाई भाइयों के नाम पर इसको छुर्रे के रसगुल्ले कहा जाता है। कुछ गुलाब जामुन आकार में बड़े होते हैं तो कुछ छोटे होते हैं। इतना ही नहीं बल्कि राजस्थान में तो गुलाब जामुन की सब्जी तैयार की जाती है। राजस्थान में चीनी की जगह मसाले और टमाटर का इस्तेमाल किया जाता है।