EVM Hacking : क्या EVM को हैक किया जा सकता है? जानिए- इस सवाल का जवाब….

EVM Hacking : जल्द ही अब लोकसभा चुनाव आने वाले हैं और इसी मामले को संज्ञान में लेते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चुनाव आयोग से कई तरह के सवाल पूछे हैं जिसमें EVM Hacking के बारे में भी सवाल किया गया है।

चुनाव आयोग के दिए गए जवाबों में बताया गया है कि EVM के साथ कोई भी छेड़खानी (EVM Hacking) नहीं की जा सकती है और ना ही इसे हैक किया जा सकता है। आइये आपको बताते हैं कि चुनाव आयोग को इस बारे में जवाब क्यों देने पड़ें है?

SC में दाखिल याचिका

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका में वोटर को इस बात की पुष्टि की जानी चाहिए थी कि उसका वोट दाखिल हो चुका है।

दरअसल, मौजूदा वोट व्यवस्था मशीन में यह तो दिखाई दे जाता है कि व्यक्ति ने जिस उम्मीदवार को अपना वोट दिया है उसे ही वोट चला गया है। लेकिन व्यक्ति द्वारा दिया गया वोट रिकॉर्ड हुआ या नहीं, इसकी पुष्टि नहीं होती है।

मौजूदा VVPAT व्यवस्था पूरी तरह सही

इस बारे में चुनाव आयोग (Election Commission) ने जवाब देते हुए कहा कि मौजूदा VVPAT में कोई भी बदलाव करने की जरूरत नहीं है क्योंकि वोटर का वोट उसी को जाता है, जिसके लिए उसने बटन दबाया है।

इसके अलावा हर विधानसभा के 5 पोलिंग बूथ से EVM से VVPAT का मिलान किया जा सकता है। चुनाव आयोग ने दावा किया है कि VVPAT के आने के बाद 118 करोड़ लोग पूरी संतुष्टि के साथ अपना मत देते है। अब तक केवल 25 शिकायतें इसके बारे में मिली है जो भी फर्जी है।

याचिका की मांग अव्यवहारिक

चुनाव आयोग ने कहा है कि अगर VVPAT की पर्चियों का शत प्रतिशत मिलान किया जाएगा तो इससे परेशानियां बढ़ जाएगी। दाखिल की गई याचिका की यह मांग पूरी तरह से अव्यवहारिक है। सभी VVPAT पर्चियों की गिनती इंसान करते हैं और अगर मानवीय गलती होती है तो इसकी संभावना बढ़ सकती है। इसलिए अब सोशल मीडिया पर EVM Hacking को लेकर गलत बातें फैलाई जा रही हैं।

चुनाव आयोग (Election Commission) का कहना है कि याचिका चाहती है कि चुनाव से पहले EVM की कार्यप्रणाली की जाँच की जाये। लेकिन हमें लगता है कि चुनाव होने से पहले EVM पर शक करने वाली ये आखिरी याचिका नहीं है।

SC ने जल्द सुनवाई से किया इनकार

बुधवार को यह मामला जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एस वी एन भट्टी की बेंच के सामने लगा था, लेकिन उन्होंने इस मुद्दे पर जल्दबाजी में कोई भी निर्णय लेने से मना कर दिया है। अब इसकी सुनवाई नवंबर में होगी।

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि हर साल EVM को लेकर नई याचिका कोर्ट में आती है और 6-8 महीने में फिर नई याचिका आ जाती है। इसके पहले हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता को इतना संदेह भी नहीं करना चाहिए।