आखिर रेगिस्तान में इतनी ज्यादा रेत कहाँ से आई – दिन रात तेज हवा चलने पर भी नहीं होती गायब

डेस्क : क्या आपके मन में भी यह सवाल आया है की आखिर रेगिस्तान में इतनी सारी रेत आती कहाँ से होगी ? यदि आपने कभी रेगिस्तान देखा होगा तो उधर चरों ओर केवल रेत के बड़े बड़े टिल्ले और रेत के अल्वा कुछ भी नजर नहीं आता है। आपकी जानकारी के लिए बतादें की रेगिस्तान केवल रेत के नहीं होते बल्कि बर्फीले और पथरीले बीहड़ों के भी होते हैं लकिन ज्यादा तर रेगिस्तानों में रेत ही होती है। लेकिन आज हम आपको सबसे बड़े सवाल यानी रेगिस्तान में आने वाली रेत आखिर आती खन से होगी ? का जवाब देंगे, तो चलिए जानते हैं।

जानकारी के लिए बतादें की रेगिस्तान शब्द का इजात विदेशी भाषा लैटिन से करा गया है जिसका अर्थ होता है बंजर या फेर बेकार जमीन का हिस्सा। यह तो आपक सभी जानते ही होंगे की रेगिस्तान में काफी काम यानी की 25 सेंटीमीटर से भी काम बारिश होती है इसी वजह से वहन पर असहनीय गर्मी होती है , रेगिस्तान में सुबह के समय काफी गरम तापमान रहता है और रात को उतना ही ठंडा जिसके कारण उधर की चीजों के कण झड़ने लगते हैं। इनके तापमान को बदला जाएगा तो वह झड़ने लगता है या उसके जो कण होते है वह झड़ने लगते है।

रेगिस्तान में मौजूद जो पत्थरों की बड़ी बड़ी चट्टान हुआ करती हैं वो वहाँ के बदलते तापमान में बार बार गर्म और ठंडी होने कारण झड़ने लग जाती हैं उनके अंदर के मौजूदा कण टूट टूट कर राइट के कणो में परिवर्तित होजाते हैं और तेज हवा बहने के कारन वे एक जगह से उठकर हवा के साथ दूसरी जगह जकर बेठ जाते हैं , यह कार्य बार बार होने के कारण रेगिस्तानों में दूर दूर तक नजर दौड़ने पर भी केवल और केवल रेतीले पहाड़ और रेत ही नजर आती है।