Desk : कोलकाता की जगह दिल्ली कैसे बन गई देश की राष्ट्रीय राजधानी? पढ़े पूरी कहानीदेश की राजधानी पहले कोलकाता थी, जिसे बाद में बदलकर दिल्ली कर दिया गया। वैसे तो इस बात को हम सभी जानते हैं लेकिन, राष्ट्रीय राजधानी को लेकर हुए इस बदलाव के बारे में शायद ही हर किसी को पता हो। कोलकाता हर 1911 तक देश की राजधानी रहा।
लेकिन, दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी बनाने की नींव सन 1905 में पड़ी, जब बंगाल का विभाजन हुआ। दिल्ली के प्रति अंग्रजी शासन का लगाव (SUBHEAD)कोलकाता के राष्ट्रीय राजधानी होने के बावजूद अंग्रेजी हुकूमत का दिल्ली के प्रति लगाव था। वह दिल्ली को ब्रिटिश संस्कृति की पहचान देना चाहते थे, जिसके चलते उन्होंने वहां वायसराय हाउस और नेशनल वॉर जैसी इमारतें बनाईं जिन्हें आज राष्ट्रपति भवन और इंडिया गेट के नाम से जाना जाता है। ब्रिटिश शासकों का मानना था कि देश में सियासत चलाने के लिए कोलकाता की जगह दिल्ली को राजधानी बनाया जाना चाहिए।
बंगाल विभाजन के बाद अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ शुरू हुए विरोध ने उन्हें ये कदम उठाने के लिए मौका दिया। हालांकि जिस वक़्त ये सब सोचा गया उस वक़्त दिल्ली की हालत बेहद खराब थी। बावजूद अंग्रेज महाराजा जॉर्ज-V ने देश की राजधानी को दिल्ली ले जाने का आदेश दिया। घोषणा से पहले दिल्ली में सजा दरबार (SUBHEAD)ब्रिटिश महाराज की घोषणा से पहले किंग जॉर्ज-V और क्वीन मैरी के लिए दिल्ली में दरबार सजाया गया। दिन को खास बनाने के लिए दिल्ली में बिजली की विशेष व्यवस्था की गई थी। दिल्ली दरबार में देशभर के नामी-गिरामी राजे-रजवाड़े और राजघराने भी शामिल शामिल हुए थे। 12 दिसंबर 1911 में दिल्ली दरबार में इसकी आधारशिला रखी गयी।
जबकि 13 फरवरी 1931 को आधिकारिक रूप से दिल्ली देश की राजधानी बनी।घोषित की गई छुट्टी (SUBHEAD)ब्रिटिश शासन ने किसी भी तरह के खलल से बचने के लिए उस दिन छुट्टी घोषित कर दी थी। हर तरफ नाकाबंदी की गयी थी ताकि कोलकाता का विरोध दिल्ली तक न पहुंचे। इतना ही नहीं उस दिन लगातार गिरफ्तारियां भी हो रही थीं। जब दिल्ली को राजधानी घोषित किया गया, उस वक़्त मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे महानगर दिल्ली से हर मामले में अव्वल थे।