मुग़लों का एक ऐसा शासक जिसने अपने ही बच्चे की आँखें निकलवा ली थी – शराब और महिला सुख की लत ने किया बर्बाद

शादी के काफ़ी समय बाद बादशाह अकबर औलाद के सुख से वंचित रहे. कई दरगाह और फकीरों के आगे सिर झुकाने के बाद जकड़ जहांगीर का जन्म हुआ. वही जहांगीर जिसकी पहचान आगे चलकर क्रूर शासक और शराब व औरतों के शौकीन बादशाह के तौर पर हुई. सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात तो ये है कि 18 साल की उम्र तक जहांगीर ने शराब को हाथ तक नहीं लगाया था. उसके शराब की शुरुआत का भी एक किस्सा है.

एन इंटिमेट पोर्ट्रेट ऑफ अ ग्रेट मुगल जहांगीर की लेखिका पार्वती शर्मा लिखती है कि जहांगीर यानी सलीम को शराब पीने की लत शिकार के दौरान लगी. जब कई घंटों तक शिकार करने के बाद जहांगीर थक गया तो किसी ने उस शराब पीने का सुझाव दिया. फिर जहांगीर ने ऐसा ही किया. शराब का स्वाद उसे इतना पसंद आया कि शराब रोज का हिस्सा बन गई. उसके दूसरे भाइयों को जहांगीर के जरिए ही इसकी लत लगी.

जहांगीर 17 अक्तूबर, 1605 को अकबर की मौत के बाद मुगल तख्त पर काबिज हुए. वह कभी दरियादिली दिखाते थे, तो कभी क्रूरता की सारी हदें पार कर देते थे. एलिसन के मुताबिक, अपने शासनकाल में जहांगीर ने अपने नौकर का हाथ कटवा दिया था, क्योंकि उसने नदी के किनारे पर लगे चंपा के कुछ पेड़ काट दिए थे. इतना ही नहीं, नूरजहां की एक कनीज को भी उसने जमीन में गड़वा दिया था. उसका कुसूर बस इतना था कि एक किन्नर के साथ उसे चुंबन लेते हुए पकड़ लिया गया था.

सिर्फ आम लोगों पर जहांगीर ने क्रूरता नहीं बरपाई बल्कि खुद के बेटे पर भी वैसे ही जुल्म ढाया. जहांगीर ने बेटे खुसरो के बगावत करने पर उसकी आंख फोड़ दी थी. उसने ऐसा करने के बाद लम्बे समय तक बेटे की आंख का इलाज भी कराया, लेकिन उसकी आंखों की रोशनी वापस नहीं आ सकी.