डेस्क : हर माता-पिता अपने बच्चे को बेहतर शिक्षा देना हेतु संकल्पित हैं। कई बार गांवों या छोटे शहरों में कम सुविधाओं के कारण भी होनहार छात्रों को शिक्षा का अवसर नहीं मिल पाता है। ऐसे बच्चों के भविष्य के लिए ही देश में जवाहर नवोदय विद्यालय की भी शुरुआत की गई। लेकिन इस विद्यालय में प्रवेश लेना इतना भी आसान नहीं है।
अगर आप भी गांव या छोटे शहर कस्बे के रहने वाले हैं और अपने बच्चों को जवाहर नवोदय विद्यालय में पढ़ाना चाहते हैं। तो आपके मन में भी ऐसे सवाल जरूर आते होंगे कि आखिर जवाहर नवोदय विद्यालय में कब और कैसे होता है? Admission के लिए कब और कैसे अप्लाई किया जाता है? या फिर नवोदय स्कूल का एडमिशन प्रोसेस क्या है?
आज के इस आर्टिकल में हम आपको इन्हीं सवालों के जवाब देंगे। आइए जानते हैं
JNV के बारे में : नवोदय विद्यालय भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के नेतृत्व में चलाई जाने वाली शिक्षा परियोजना है। साल 1986 जवाहर नवोदय विद्यालय बोर्डिंग स्कूल की शुरुआत हुई थी।
स्कूल में मिलने वाली सुविधाएं ; नवोदय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को फ्री शिक्षा दी जाती है। इसके अलावा उनकी शिक्षा, खाने, आवास और खेल से जुड़ी सुविधाएं फ्री रहती हैं। जवाहर नवोदय विद्यालय की परीक्षा क्वालीफाई करने के बाद ही आपका बच्चा इस स्कूल में पढ़ सकता है।
एडमिशन की शर्तें
- नवोदय में एडमिशन लेने के लिए आपको कई शर्तें माननी होती हैं। इन्हें पूरा करने के बाद ही आप परीक्षा में बैठ सकते है।
- केवल उसी जिले के प्रत्याशी ही प्रवेश परीक्षा में बैठ पाएंगे। जिनके जिले में जवाहर नवोदय विद्यालय खुला हुआ है।
- कक्षा में दाखिला लेने के लिए आपके बच्चे की उम्र 9 से 11 साल के बीच होनी चाहिए। साथ ही इससे पहले वह कक्षा 5 उतीर्ण होना चाहिए।
- कक्षा 9 में एडमिशन के लिए छात्र की उम्र 13 से 16 साल के बीच होनी चाहिए। इसके अलावा कक्षा 11 में एडमिशन के लिए बच्चे की उम्र 14 से 18 साल के बीच होनी चाहिए।
- ऐसा प्रत्याशी जिसने 3,4 या 5 में से कोई भी कक्षा शहरी क्षेत्र के स्कूल से उतीर्ण की है, उसे शहरी प्रत्याशी ही माना जाएगा।
- ग्रामीण कोटे में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को कक्षा 3,4 या 5 की परीक्षाएं स्थानीय सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त या मान्यता प्राप्त स्कूल से उतीर्ण करनी होगी। तब ही विद्यार्थी को ग्रामीण कोटा मिले सकेगा।
- एक बार प्रवेश परीक्षा में बैठने के बाद किसी भी छात्र को दोबारा परीक्षा में बैठने का मौका नहीं दिया है। ऐसे में चाहे आप उतीर्ण हों या फेल, आपको एक ही बार परीक्षा देने का मौका मिलेगा।