मिसाल : गरीबी के चलते बेचना पड़ा था चाय-पकौड़ा, कड़ी मेहनत और लगन से बने IPS , पढ़ें-अल्ताफ शेख की कहानी

डेस्क : हाल ही में यूपीएससी सिविल सर्विसेज 2020 की परीक्षा का परिणाम आया है। ऐसे में कई मेधावी छात्र निकल कर आए हैं जिन्होंने अपने मां-बाप का नाम रोशन किया है, बता दें कि वह जिस जगह से आते हैं, वहां के लोग बेहद खुश हैं। इन सभी अभ्यर्थियों ने अपनी कड़ी मेहनत और संघर्ष से अपने जीवन का सपना पूरा किया है। इसी बीच एक ऐसा अभियार्थी सामने निकलकर आया है जिसकी जीवन से आप प्रेरणा ले सकते हैं।

इसी अभियार्थी का नाम है अल्ताफ शेख। अल्ताफ शेख को 545 वी रैंक हासिल हुई है। इसी के साथ उन्होंने आईपीएस कैडर चुना है, बता दें कि अल्ताफ शेख देश की सर्वश्रेष्ठ पुलिस सेवा में बतौर अधिकारी बनकर आम जनमानस की सेवा करते नजर आएंगे लेकिन उनके जीवन का यह सफर इतना आसान नहीं था। अल्ताफ शेख के पिता जी एक स्कूल के बाहर चाय और पकोड़े बेचा करते हैं। जब कभी अल्ताफ शेख को पढ़ाई करने से फुर्सत मिलती थी तो वह अपने पिताजी के साथ उनकी दुकान पर जाकर चाय और पकौड़े भेचते थे। अल्ताफ शेख ने बहुत ही संघर्ष के साथ अपना जीवन बिताया है। उनके पास अक्सर ही आर्थिक तंगी से जूझ रहा परिवार सामने खड़ा रहता था। वह पुणे से सटे बारामती में चाय बेचते थे, उनका घर बारामती तालुका के कटवाड़ी में स्थित है।

ज्यादा जानकारी के लिए बता दें कि अल्ताफ शुरू से ही एक अधिकारी बनना चाहते थे, जिसके चलते उन्होंने 2015 में यूपीएससी की परीक्षा पास की थी। उनकी उम्र 22 साल थी और उनको केंद्रीय गृह विभाग में डिप्टी एसपी का पद मिला था, इसके बाद उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी बीच में उनके ट्रांसफर भी हुए । अल्ताफ शेख को इस वक्त ढेरों शुभकामनाएं मिल रही है बता दें कि पुणे से उनकी तारीफ हो रही है। सांसद सुप्रिया सुले और राकांपा नेता ने भी उनको बधाई दी और उनके अच्छे भविष्य की कामना की है। अल्ताफ का कहना है कि मैं जब स्कूल जाता था तो मेरे पास स्कूल की फीस भरने के लिए पैसे नहीं होते थे, इस वजह से मैंने इस्लामपुर के नवोदय विद्यालय में दाखिला लिया। जब मौका मिल जाता तो मैं अपने पिताजी के साथ पकोड़े बेचने चला जाता था। शुरुआती पढ़ाई के बाद मैंने अपना बी टेक फूड एंड टेक्नोलॉजी में किया, इसके बाद पूरे दिल और लगन से मेहनत करके यूपीएससी में चयनित हुआ। बता दें कि इस वक्त अल्ताफ शेख की कहानी अनेकों प्रतियोगियों के प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।