बिहार के जमुई के लाल ने किया कमाल, UPSC परीक्षा में हासिल की 7वीं रैंक, बोला- अधिकारी बनते ही पहले यह काम करूंगा..

न्यूज डेस्क : UPSC यानी सिविल सेवा परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। हर साल देश के लाखों अभ्यार्थी IAS, IPS, का सपना लेकर इस परीक्षा में अपना भाग्य आजमाते हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही मेधावी छात्र इस में सफल हो पाते हैं। इसी बीच आप लोगों को 2020 के UPSC में 7 वां रैंक हासिल करने वाले बिहार के जमुई के प्रवीण के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन पर यह कहावतें सटीक बैठती है, जब कुछ कर दिखाने के लिए इरादे बुलंद हों, तो विपरीत परिस्थितियों में भी राहें बनने लगती हैं। परिस्थितियां प्रतिकूल थीं, इसके बावजूद भी सिविल सेवा परीक्षा में पास होने का दृढ़ निश्चय उनको इस मुकाम तक ले आया। आज परवीन ने सिविल सेवा परीक्षा में सफल होकर अपना स्थान पक्का कर लिया है। प्रवीण बताते हैं मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि मुझे इतना अच्छा रैंक मिला है।

बहुत जिम्मेदारी का एहसास हो रहा है, उम्मीद नहीं थी कि इतनी बड़ी सफलता हासिल होगी, हालांकि, मेहनत बहुत कर रहे थे लेकिन ईश्वर कुछ ज्यादा मेहरबान हो गए थे। मैं भाग्यशाली था कि मुझे इतनी बड़ी सफलता हासिल हुई। बता दें कि परवीन की सफलता से पूरे परिवार में जश्न का माहौल है, पूरे मोहल्ले में मिठाइयां बांटी जा रही है। प्रवीण के पिता सीताराम वर्णवाल बताते हैं। मेरा बेटा बचपन से ही पढ़ने में मेघावी था। उसकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा जसीडीह स्थित रामकृष्ण विद्यालय से हुई थी। बाद में उसने पटना से सीबीएससी (CBSE) से मैट्रिक एवं इंटर की परीक्षा पास की। फिर उसने कानपुर आईआईटी (KANPUR IIT) से पढ़ाई कर दिल्ली में दो साल से यूपीएससी (UPSC) की तैयारी कर रहा था। उसने दूसरे प्रयास में यह सफलता हासिल की है। बता दे की परवीन के पिता सीताराम वर्णावाल एक मेडिकल दुकान चलाते है। परवीन बताते हैं मैंने यूपीएससी एग्जाम (UPSC EXAM) क्लियर करने के लिए कोई भी कोचिंग ज्वाइन नहीं किया।

हालांकि, मैंने कई कोचिंग संस्थान के नोट्स लिए थे, लेकिन पढ़ाई खुद से की थी। 2017 में आईआईटी कानपुर (IIT KANPUR) से बीटेक किया। उसके बाद इंजीनियरिंग सर्विस की तैयारी की और 2019 में तीसरी रैंक हासिल की, फिर एक साल का गैप सिविल सर्विस एग्जाम के लिए लिया। प्रवीण का मानना है कि यूपीएससी एग्जाम (UPSC EXAM) मुश्किलें तो हैं परंतु उतना भी मुश्किल नहीं है कि कोई भी हिम्मत हार दे। ऐसे में ये बहुत मायने रखता है कि अभ्यर्थी एग्जाम को लेकर सारे संदेह दूर करके कैसे स्मार्टिली काम करता है, ये ही आपकी सफलता तय करता है, प्रवीण बताते हैं अधिकारी बनने के बाद होमलेस बच्चों के लिए सबसे पहले काम करूंगा, मेरी कोशिश होगी कि उनके लिए हॉस्टल का निर्माण करवाऊं, जहां पर वह पढ़ सकें और अच्छे वातावरण में रह सकें, इसके अलावा, बिहार में शिक्षा और स्वास्थ्य की समस्या है, उसके लिए काम करने का प्रयास करूंगा।