रोजाना 80 पैसे क्यों बढ़ रहे पेट्रोल-डीजल के दाम? जानिए क्या है इसके पीछे सरकार की कैलकुलेशन

डेस्क : देश में पिछले 10 दिनों से अधिक समय से पेट्रोल-डीजल (Petrol Diesel) के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। पहले बल्क यानी Whole Sale उपभोक्ताओं के दाम बढ़ाए गए और फिर अगले दिन से खुदरा दामों में बढ़ोतरी जारी है। ऐसे में लोगों के जेब पर असर तो पड़ ही रहा है, लेकिन वे इस बार की बढ़ोतरी से हैरान भी हैं।

दरअसल, कच्चे तेल की कीमतों में रिकॉर्ड उछाल के बाद लोगों को पहले से अंदाजा था कि फ्यूल के दाम बढ़ने वाले हैं। हालांकि, रोज 80 पैसे की भारी बढ़ोतरी ने उन्हें थोड़ा हैरानी में जरूर डाल दिया है। इससे पहले इतनी भारी बढ़ोतरी डायनेमिक प्राइसिंग में पहले कभी नहीं हुई। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि आखिर दाम में रोज 80 पैसे की ही क्यों बढ़ोतरी हो रही है?

सरकारी तेल कंपनियों के मुताबिक, वे अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले 15 दिनों की औसत कीमत के आधार पर फ्यूल के दाम तय करती हैं। लेकिन 5 राज्यों में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान ऑयल कंपनियों ने रिकॉर्ड 140 दिनों तक पेट्रोल-डीजल के दाम में कोई बढ़ोतरी नहीं की थी। ऑयल कंपनियों ने बीते 21 मार्च से दोबारा पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने शुरू किए और 22 मार्च से खुदरा दाम भी बढ़ाए जा रहे हैं। पिछले 16 दिनों में तब से अब तक 14 बार दाम बढ़ाए जा चुके हैं।

6 अप्रैल को 80 पैसे से अधिक की बढ़ोतरी के साथ, पिछले 16 दिनों में ही पेट्रोल और डीजल के दाम 10 रुपये बढ़ चुके हैं। अब आप लोग सोच रहे होंगे आखिर रोजाना 80 पैसे ही तेल के दाम क्यों बढ़ रहे हैं? एक ही बार 10 या ₹25 क्यों नहीं बता देते है। तेल कंपनियों की मानें तो 80 पैसे की बढ़ोतरी के पीछे कोई विशेष कारण नहीं है। हालांकि, सभी ने ये अनुमान अवश्य व्यक्त किया कि, रोजाना बढ़ोतरी को 1 रुपए से कम ही रखने को लेकर सरकार की तरफ से आग्रह जरूर रहा है। सरकार नहीं चाहती लोग ये याद रखें कि एक साथ 25 रुपए या फिर रोज एक रुपए से अधिक पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाए गए थे।

सरकार तो यही चाहती है कि लोग यही याद रखें कि नवंवर 2021 में पेट्रोल में 5 रुपए और डीजल के दाम 10 रुपए एक साथ कम किए गए थे। तेल कंपनियों का कहना है कि चुनाव के पहले रोज कीमतों में 10 से 25 पैसे का बदलाव करती थीं। हालांकि फिर उन्होंने चुनाव के चलते लंबे समय तक इसे उसी स्तर पर छोड़ दिया, जिससे इसे जल्द बढ़ाने की जरूरत थी। इसलिए वे लोगों की याददाश्त में महंगाई की कड़वाहट कम रखते हुए एक रुपये से थोड़ा कम दाम बढ़ा रहे हैं ताकि जनता को झटका न लगे। वे थोक ग्राहकों के लिए तो एक बार में 25 रुपये बढ़ा सकते हैं, लेकिन आम ग्राहकों के लिए ऐसा नहीं किया जा सकता है।