Floating या Fixed Rate किस FD में मिलता है खूब ज्यादा रिटर्न – यहां जानिए पूरी जानकारी..

डेस्क : अभी के समय में फिक्सड डिपॉजिट (एफडी) को बेहतर और सुरक्षित निवेश के रूप में देखा जाता है। इसके तहत आपको आपको सेविंग्स अकाउंट से बेहतर रिटर्न भी मिलता है। तभी सुरक्षा और बचत के लिए ये सेविंग्स अकाउंट से बेहतर होता है। FD में अलग-अलग मेच्योरिटी टेन्योर मिलते हैं जिसे आप अपनी सुविधा के मुताबिक चुन सकते हैं और मुनाफा कमाने का बाद पूरा पैसा निकाल सकते हैं।

अब सभी बैंकों के पास FD खोलने की सुविधा होती है। बैंक के हिसाब से आपको अपने जमा राशि पर अलग दर से ब्याज मिलता है। मालूम हो हाल ही में RBI ने रेपो रेट में बढ़ोतरी की थी जिसके बाद एफडी की ब्याज दरों में भी काफी इजाफा देखने को मिला है। पर रेपो रेट कम होने के साथ इसमें कमी भी होती है। जिसपर सवाल ये उठता है कि सर्वाधिक मुनाफा कमाने के लिए किस प्रकार की एफडी लेना अधिक फायदेमंद रहता है। फिक्स्ड रेट एफडी या फ्लोटिंग रेट एफडी इनमें से क्या अधिक लाभदायक है।

एक्सपर्ट्स देते हैं ये सलाह : इस बारे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि ‘अभी रेपो रेट बढ़ रहा है तो फ्लोटिंग रेड एफडी भी लुभावनी लग रही है क्योंकि इसकी ब्याज दरें बढ़ रही हैं। वहीं, अगर नीतिगत दरों में गिरावट शुरू हुई तो एफडी की ब्याज दरें भी गिरने लगेंगी। लेकिन फिक्स्ड रेट एफडी के साथ ऐसा नहीं होता है। उस पर आपको पहले से तय ब्याज दर मिलती रहती है। इसका लाभ आपको मेच्योरिटी पर मिलता है।’ पर आपको मालूम होना चाहिए कि मेच्योरिटी से पहले अगर ब्याज दर आपके फिक्स्ड रेट को पार कर गई तो आपको नुकसान हो सकता है। इसलिए फिक्स्ड रेट एफडी लेते समय इस बात का जरूर ध्यान रखें कि क्या आपके टेन्योर में मौजूदा ब्याज दर इतनी आगे बढ़ सकती है कि आपकी फिक्सड रेट को पार कर जाए।

रेपो रेट में बदलाव : बीते 4 महीने में RBI ने 3 बार रेपो रेट बढ़ोतरी कर इसे 5.40 फीसदी तक पहुंच दिया है। ये महंगाई को काबू में करने के लिए किया जाता है। इससे बैंकों द्वारा आरबीआई से लोन लेना महंगा होता है और वे खुदरा ग्राहकों को भी महंगी दरों पर लोन देने लगते हैं। जिसकी वजह से कर्ज की मांग घटती है और बाजार में कैश फ्लो पर थोड़ी लगाम लगती है। लेकिन रेपो रेट बढ़ने के साथ एफडी की ब्याज दरें भी बढ़ने लगती है। इससे निवेशकों को काफी लाभ पहुंचता है।