SBI ग्राहकों को तगड़ा झटका! फिर बढ़ाया EMI का बोझ, जानिए – अब कितना देना होगा रूपया

डेस्क : भारत के सबसे बड़े बैंक SBI ने एक बार फिर MCLR (Marginal Cost of Funds Based Lending Rate) में बढ़ोतरी की है। नई दरें 15 मई यानी रविवार से ही लागू हो गई हैं। इस महीने बैंक द्वारा एमसीएलआर में यह दूसरी बढ़ोतरी है। बैंक ने प्रत्येक कार्यकाल के लिए 10 आधार अंक यानी 0.10 प्रतिशत की वृद्धि की है। SBI की ओवरनाइट, एक महीने और तीन महीने की MCLR अब 6.75 फीसदी बढ़कर 6.85 फीसदी हो गई है।

क्या असर होगा : MCLR बढ़ने से ग्राहकों द्वारा लिए गए कर्ज की मासिक EMI में इजाफा होगा। साथ ही नए ग्राहकों के लिए भी कर्ज महंगा हो जाएगा। बैंक का यह फैसला आरबीआई द्वारा रेपो रेट बढ़ाने के बाद आया है। आरबीआई में 40 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी हुई। गौरतलब है कि आरबीआई ब्याज दरों को और भी बढ़ा सकता है, जिससे बैंकों से कर्ज लेना और महंगा हो जाएगा। बता दें कि एसबीआई की ओर से बांटे गए कर्ज का सबसे बड़ा हिस्सा (53.1 फीसदी) एमसीएलआर से जुड़े कर्ज का है। हाल ही में बैंक ने 2 करोड़ रुपये की FD पर ब्याज दर में 40-90 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की थी।

बैंक स्टेटमेंट : SBI के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा है कि इस बढ़ोतरी का बैंक के मार्जिन पर सकारात्मक असर पड़ेगा क्योंकि ज्यादातर कर्ज लगातार बदलती दरों पर आधारित हैं। इसका मतलब है कि जैसे ही रेपो रेट में बदलाव होगा, इनमें भी बदलाव किया जाएगा। 6 महीने के लिए MCLR को बढ़ाकर 7.15 फीसदी, एक साल के लिए 7.20 फीसदी, 2 साल के लिए 7.40 फीसदी और तीन साल के लिए 7.50 फीसदी कर दिया गया है.

क्या है MCLR : फंड की सीमांत लागत आधारित उधार दर किसी भी वित्तीय संस्थान का आंतरिक बेंचमार्क या संदर्भ दर है। यह किसी भी ऋण की न्यूनतम ब्याज दर तय करने को परिभाषित करता है। MCLR को 2016 में RBI द्वारा भारतीय वित्तीय प्रणाली में शामिल किया गया था। इससे पहले, 2010 में लागू बेस रेट सिस्टम के तहत ब्याज तय किया गया था। MCLR के कार्यान्वयन के साथ इसे बंद कर दिया गया था।