गेहूं के बाद अब चावल खाना होगा महंगा – दोगुनी हो जाएगी चावल की कीमत, जानिए विस्तार से..

डेस्क : बीते 5 दिनों में भारतीय चावल की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में 10 फ़ीसदी तक दाम में बढ़ोतरी हुई है। हमारे पड़ोसी बांग्लादेश ने चावल के आयात शुल्क और टैरिफ को घटाकर 62.5 प्रतिशत से 25प्रतिशत कर दिया है। ऐसे में बांग्लादेश का यह कदम भारतीय व्यापारियों को पड़ोसी देश में चावल आयात करने के लिए एक साझा प्लान बनाने पर मजबूर किया है।

बांग्लादेश ने 22 जून को दी गई सूचना जारी कर कहा कि 21 अक्टूबर तक पड़ोसी देश गैर बासमती चावल का आयात भारत से बनेगा। हर साल सितंबर-अक्टूबर में बांग्लादेश भारत में चावल का आयात शुरु करता है। इस बात पहली बार भारत से चावल का आयात इतनी जल्दी शुरू करेगा। बांग्लादेश को डर सता रहा है कि भारत गेहूं के निर्यात की तरह चावल निर्यात पर भी प्रतिबंध ना लगा दे। इसलिए करो में भारी छूट करके चावल का आयात जल्दी शुरू कर दिया। पिछली बार बाढ़ के चलते बांग्लादेश में चावल और गेहूं का पैदावार काफी कम हुआ।

चावल निर्यातक समूह के अध्यक्ष बीवी कृष्ण राव के अनुसार, बीते पांच दिनों में गैर बासमती चावल की कीमत वैश्विक बाजारों में 350 डॉलर प्रति टन से बढ़कर होकर 360 डॉलर प्रति टन हो गई है। उन्होंने बताया कि ऐसा बंगलादेश के भारत से जल्दी चावल के आयात की ख़बर आने के बाद हुआ है।

गेंहू की बढ़ती कीमतों और घटते आयात ने बंगलादेश में आटे की कीमतों को बढ़ा दिया है। लोग इसके चलते चावल के ज्यादा उपभोग पर निर्भर हो रहे हैं। गेहूं निर्यात के अलावा समय से पहले शुरू तेज बारिश और तूफान की वजह से भी चावल की पैदावार कम हुई है। चावल की कीमतों में और अस्थिरता बढ़ गई। अब चावल की कीमतों में और ना हो और स्टॉक खत्म ना हो इसके लिए जल्दी चावल का करने का फैसला लिया है।

इकोनामिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक चावल की कीमत में पहले ही बढ़ोतरी 10% की हुई है और यह बढ़ती जा रही है। आमतौर पर बंगलादेश पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार से चावल खरीदता है। चावल निर्यात होने की वजह से इन तीन राज्यों में चावल की कीमतों में तेजी आई है। जहां पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश में चावल की कीमतों में 20 फ़ीसदी बढ़ोतरी होगी वही बाकी के राज्य में 10 जब तक रहेगी। आपको बता दें कि चाइना के बाद दुनियां के सबसे बड़े चावल उपभोक्ता भारत की वैश्विक चावल व्यापार बाजार में 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है।