न्यूज डेस्क: मौजूदा समय में भारतीय करेंसी डॉलर के मुकाबले काफी सस्ती है। इसको लेकर देश में तमाम तरह की बातें किए जा रहे हैं। लोग काफी निराश भी हैं। वहीं अब मोदी सरकार की ओर से भारतीय करेंसी को मजबूती प्रदान करने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। इसी कड़ी में सरकार की ओर से इंटरनेशनल ट्रेड का निर्णय लिया गया है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए अमेरिकी डॉलर को ज्यादा प्राथमिकता दी गई है। हालांकि, अब मोदी सरकार ने इस अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर फैसला ले लिया है और भारत भारतीय रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार करने की संभावनाएं तलाश रहा है। इसके लिए भारत लगातार कुछ देशों से बात भी कर रहा है। इस बीच कुछ देशों ने रुपए में कारोबार करने पर भी सहमति जताई है।
श्रीलंका है राजी
वहीं, भारत उन देशों की तलाश कर रहा है, जिनके पास डॉलर की कमी है। इसी क्रम में श्रीलंका ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए भारतीय रुपये का उपयोग करने पर सहमति व्यक्त की है। सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका (CBSL) ने कहा कि वह भारतीय रुपये को श्रीलंका की विदेशी मुद्रा के रूप में नामित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मंजूरी का इंतजार कर रहा है।
इंडियन करेंसी का उपयोग
श्रीलंकाई बैंकों ने कथित तौर पर भारतीय रुपये में व्यापार के लिए विशेष वोस्ट्रो रुपया खाते या एसवीआरए नामक विशेष रुपया व्यापार खाते खोले हैं। इससे श्रीलंका और भारत के नागरिक एक दूसरे के बीच अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के लिए अमेरिकी डॉलर के बजाय भारतीय रुपये का उपयोग कर सकते हैं। वहीं भारत के इस कदम से अमेरिका भी हैरान है और भारत के इस फैसले पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की नजर जरूर पड़ सकती है।
भारत अवसर की तालाश में
इसके अलावा रूस उन देशों की सूची में भी शामिल हो सकता है जो आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए भारतीय रुपये का इस्तेमाल करेंगे। इसके अलावा भारत ताजिकिस्तान, क्यूबा, लक्जमबर्ग और सूडान समेत कई अन्य देशों में भी रुपये में कारोबार करने के अवसर तलाश रहा है। दूसरी ओर रुपये के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनने से उम्मीद की जा रही है कि भारत का व्यापार घाटा कम होगा और वैश्विक बाजार में इसे मजबूत करने में मदद मिलेगी।