डेस्क : पिछले कुछ महीनों से वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका होने के बाद सोने की कीमतों में गिरावट लगातार जारी है। हालांकि इस बार अमेरिका में बॉन्ड यील्ड तेज होने से कई अन्य प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर के अधिक मजबूत होने से परिस्थितियां ज़रूर थोड़ी अलग है। अभी इन्वेस्टर्स सुरक्षित निवेश के रूप में हाथों-हाथ अमेरिकी डॉलर में रहे हैं और इसका खामियाजा सोने को भुगतना पड़े रहा है। वहीं घरेलू स्तर पर मांग में नर्मी से भी सोने मैं कमजोरी देखी जा रही है। बीते चार महीने में जहां सोने के भाव में ₹5000 की गिरावट आई है वहीं चांदी भी ₹4000 सस्ती हुई है।
ग्लोबल मार्केट में हाजिर बाजार में सोने का भाव 0.05 फ़ीसदी से खिसक कर 1716.12 डॉलर प्रति औंस पर आ गया है। सोने के अलावा चांदी के रेट में भी गिरावट देखी गई है। ग्लोबल मार्केट में स्पॉट सिल्वर का रेट 0.16 फ़ीसदी कम होकर 18.57 डॉलर प्रति औंस पर आ गया है। पिछले कुछ सेशन में कीमती धातुओं को काफ़ी सीमित सपोर्ट मिला है। फेडरल रिजर्व रेत के हाइट को लेकर इन्वेस्टर्स भी सतर्कता बरत रहे हैं।
बता दें कि हाल ही में सरकार ने सोने के आयात पर बेसिक इंपोर्ट ड्यूटी को बढ़ाकर 12.5 फ़ीसदी कर दिया है जो कि पहले 7.5 फ़ीसदी थी। सोने का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता भारत देश है। भारत को घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए ज्यादातर सोने का आयात करना पड़ता है। भारत के इंपोर्ट बिल में कच्चा तेल के बाद सोना सबसे बड़े कंपोनेंट में से एक है। सोने की डिमांड को देखकर सरकार ने शुल्क कम करने का फैसला लिया था। हालांकि, ग्लोबल मार्केट में सोने का भाव कम होने से भारत में भी यह सस्ता हो रहा है। वहीं, जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में इसमें और गिरावट देखने को मिल सकती है।