डेस्क : बॉलीवुड में कॉमेडी की बात की जाए तो सबसे पहले जॉनी लीवर का चेहरा सामने आता है। जॉनी लीवर 80 और 90 के दशक में बॉलीवुड की फिल्मों के चहेते कॉमेडी कलाकार हुआ करते थे। जॉनी लीवर का जन्म आंध्र प्रदेश के एक ईसाई परिवार में हुआ था। साल 1957 में जन्मे जॉनी लीवर अपने माता-पिता से बेहद प्यार करते हैं और अपने पूरे परिवार से एक प्यारा रिश्ता साझा करते हैं।
एक समय पर जॉनी लीवर अपने पिताजी के साथ मुंबई आए थे। दरअसल उन दिनों जॉनी लीवर फिल्मों में काम नहीं करते थे, तब उनको पहली बार हिंदुस्तान लीवर कंपनी में काम करने का मौका मिला था। यहां पर वह अपने से सीनियर लोगों की नकल उतारा करते थे और लोगों को उनकी हरकत काफी पसंद आती थी। इसके बाद वह धीरे-धीरे स्टेज पर आकर यह कार्य करने लगे। लोगों ने उन्हें सलाह दी की तुमको फिल्मों में हाथ आजमाना चाहिए। जैसे ही वह फिल्मों में गए तो लोगों को पता चला की यह व्यक्ति हिंदुस्तान लिवर में काम कर चुका है। ऐसे में उनका नाम जॉनी लीवर पड़ गया।
जब जॉनी लीवर स्टेज पर कॉमेडी कर रहे थे तो सुनील दत्त वह शो देखने आए थे। जॉनी लीवर की कला को देखकर सुनील दत्त काफी खुश हो गए थे और उन्होंने जॉनी को फिल्म का ऑफर दे दिया था। जॉनी लीवर को पहली फिल्म “दर्द का रिश्ता” मिली थी। जब जॉनी लीवर ने यह फिल्म की थी तो उनको हर तरफ से लोकप्रियता मिलने लगी और धीरे धीरे उन्होंने बॉलीवुड में 350 फिल्मों का आंकड़ा छू लिया। बता दें कि इन फिल्म के चलते उनको 14 बार फिल्म फेयर अवार्ड मिला है।
पैसों की कमी और घर की आर्थिक स्थिति बेहद ही कमजोर थी जिसके चलते वह सड़कों पर घूम कर पेन बेचते थे। उन्होंने सातवीं कक्षा तक की पढ़ाई की है, जब वह सड़क पर पेन बेचते थे तो बड़े-बड़े कलाकारों की नकल उतारा करते थे और लोग उनके पास आकर खड़े हो जाते थे। लोगों को उनके पेन से ज्यादा उनकी कॉमेडी पर मजा आता था यह काम करके जॉनी लीवर को रोजाना 5 रूपए मिलते थे। उस वक्त 5 रूपए काफी ज्यादा माने जाते थे।
एक बार जॉनी लीवर के बेटे को कैंसर हुआ था और इस बात से वह सदमे में चले गए थे। इतना हे नहीं उन्होंने कुछ वक्त के लिए बॉलीवुड जगत को छोड़ दिया था। लेकिन कुछ समय बाद उनके बेटे का कैंसर खुद ही ख़त्म हो गया, जिसके चलते वह भगवान के अनुयाई हो गए। जब उनके बेटे का कैंसर गायब हुआ तो इस बात से डॉक्टर भी हैरान रह गए थे।
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