Bappi Lahiri ने खुद बताया अपने काले चश्मे पहनने के पीछे का दबा राज़- जानिए

डेस्क : बॉलीवुड के लीजेंड सिंगर और कंपोजर बप्पी लहरी का निधन मुंबई के हॉस्पिटल में हुआ। इसके बाद से पूरी इंडस्ट्री में मातम छाया है। बॉलीवुड ने लगातार अपने दो महान हस्ती को खो दिया है। बप्पी लहरी ने कई फ़िल्मों में अपने बेहतरीन म्यूजिक दिया है और लोगो के दिल में अपनी जगह बनाई है।

बप्पी दा अपने सबसे अलग अंदाज़ के चलते भी जाने जाते हैं। उन्हें सोने के ज्वेलरी और डॉर्क ग्लास पहनने का काफ़ी शौक़ था। वह हमेशा ही सोने के साथ -साथ काले चश्में में भी नज़र आते थे। वह काला चश्मा क्यों पहनते थे इसके पीछे की वज़ह आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

दरअसल, अपने एक इंटरव्यू के दौरान बप्पी दा ने अपने काला चश्मा पहनने का कारण बताया था। जब उनसे सवाल किया गया तब उन्होंने हंसते हुए कहा कि मैं डार्क ग्लास पहनता हूं क्योंकि इसमें मैं सबको देख पाता हूं, लेकिन मुझे कोई नहीं देख पाता। ऐसे में सामने वाला यह नहीं समझ पाता कि मेरा ध्यान किस तरफ है।

bappi lahiri

उन्होंने एक और वजह बताया कि वह हॉलीवुड पॉप स्टार एल्विस प्रेसली से प्रेरित थे। वह अपने हर परफॉर्मेंस के दौरान सोने के चेन पहना करते थे। तभी मैंने भी अपने मन में इरादा बना लिया कि मैं भी सफल होऊंगा, तब ख़ूब सारा सोना पहनूंगा।

बता दें कि बप्पी दा को म्यूजिक की दुनियां में उनकी अलग आवाज़ और संगीत के लिए जाना जाता था। भारत में पॉप म्यूजिक को लाने वाले बप्पी दा ही थे। उन्होंने अपने एक इंटरव्यू के दौरान डिस्को आइडिया का ख्याल आने का खुलासा करते हुए कहा कि तब आरडी बर्मन का दौर था। वह एक बेहतर कंपोजर थे जो सुपरहिट गाने दे रहे थे। तब मैंने सोचा कि मुझे कुछ अलग करना चाहिए। इसके बाद फिल्म डिस्को डांसर आई जिसमें सभी सभी गाने अलग ही थे। सारे डिस्को स्टाईल में थे।

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बप्पी लहरी ने म्यूजिक के साथ – साथ अपने लुक को भी म्यूजिक के हिसाब से ही बना लिया था। उन्होंने कहा था कि बचपन से ही वह सिंगर या म्यूजिक कंपोजर बनने के साथ एक अलग ट्रेंड बनाने की सोच रखते थे। जिससे लोग उन्हें पहचाने। वह अपनी एक अलग छवि बनाना चाहते थे। बप्पी दा अपने हंसमुख और मजाकिया स्वभाव के लिए भी फेमस थे। किसी ने कभी उन्हें गुस्से में नहीं देखा। बीते कुछ समय से वह कई अलग-अलग बीमारियों से जूझ रहे थे।

पिछले वर्ष वह कोरोना की चपेट में आ गए थे और ठीक भी हो गए। हालांकि इसके बाद से उनकी तबियत धीरे – धीरे ख़राब होने लगी थी। लगभग एक महीने तक उन्हें मुंबई के क्रियेटर हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था और वह ठीक होकर हॉस्पिटल से डिस्चार्ज भी कर दिए गए। फिर दुबारा उनकी तबियत बिगड़ने पर हॉस्पिटल लाया गया, जहां से वह वापस घर नहीं लौट सके।