Bollywood में एंट्री मारने से पहले UPSC की तयारी में बिजी थे एक्टर चंद्रचूड़ – इस वजह से बन गए कलाकार

किसी चीज़ को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे आपसे मिला देती है ये तो अपने सुना ही होगा…बॉलिवुड ऐक्टर चंद्रचूड़ सिंह के ऊपर यह फिट बैठती है। बॉलीवुड में चंद्रचूड़ सिंह को किसी खान या कपूर स्टार जैसी सफलता नहीं मिल पाई, लेकिन एक स्कूल टीचर की नौकरी से निकल फिल्म इंडस्ट्री में उन्होंने जिस तरह अपनी पहचान बनाई, वह काफ़ी इंस्पायरिंग है। इस समय चंद्रचूड़ सिंह फिल्म ‘कठपुतली’ को लेकर चर्चा में हैं। इइसलिए हम आपको चंद्रचूड़ सिंह की इंस्पायरिंग जर्नी के बारे में बताने जा रहे हैं।

चंद्रचूड़ सिंह फिल्मों में आने से पहले एक स्कूल में टीचर थे और कभी नहीं सोचा था कि वह एक्टर बनेंगे।चंद्रचूड़ सिंह को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था। इसके साथ ही गाने का भी शौक था, इसलिए क्लासिकल सिंगिंग में ट्रेनिंग भी ली। चंद्रचूड़ सिंह ने स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली के वसंत वैली स्कूल में म्यूजिक सिखाना शुरू कर दिया। उन्होंने बच्चों को दून स्कूल में हिस्ट्री भी पढ़ाई। बच्चों को पढ़ाने के साथ ही वह आईएएस बनने की तैयारी भी कर रहे थे, लेकिन फिल्मों के ऑफर मिल रहे थे तो मुंबई आ गए थे।

अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत चंद्रचूड़ सिंह ने 1990 में फिल्म ‘आवारगी’ से की थी। लेकिन यह फिल्म किसी वजह से अटक गई और इसके साथ ही उन का करियर भी अटक गया। कुछ और फिल्में भी उनकी थीं जो रिलीज नहीं हो पाईं और डिब्बाबंद हो गईं।

चंद्रचूड़ सिंह को लगने लगा था कि उन्होंने एक्टिंग को करियर के रूप में चुनकर गलती कर दी। यह करियर उनके लिए सही नहीं है। चंद्रचूड़ सिंह ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत में एक बार बताया था कि उन्हें बच्चों को पढ़ाने में बहुत मजा आता था। ऐसे में उन्हें अपने ऊपर डाउट होने लगा कि कहीं उन्होंने एक्टिंग में आकर गलत तो नहीं कर दिया? चंद्रचूड़ ने सोच लिया था कि अगर उन्हें फिल्म नहीं मिली या हीरो नहीं बन पाए तो वह वापस जाकर स्कूल में पढ़ाने लगेंगे। वह एक्टर बनेंगे। 11 अक्टूबर 1968 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जन्में चंद्रचूड़ सिंह को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था। गाने का भी शौक था और इसलिए उन्होंने क्लासिकल सिंगिंग में ट्रेनिंग ली। जब चंद्रचूड़ सिंह स्कूल में थे तो वह नाटकों में हल्की-फुल्की एक्टिंग करते थे। चंद्रचूड़ सिंह ने स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली के वसंत वैली स्कूल में म्यूजिक सिखाना शुरू कर दिया। 90 के दशक की यह बात है। उन्होंने बच्चों को दून स्कूल में हिस्ट्री भी पढ़ाई। बच्चों को पढ़ाने के साथ ही वह आईएएस बनने की तैयारी भी कर रहे थे, लेकिन फिल्मों के ऑफर मिल रहे थे तो वे मुंबई आ गए।

चंद्रचूड़ सिंह ने 1990 में अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत फिल्म ‘आवारगी’ से की थी। लेकिन यह फिल्म किसी वजह से अटक गई और इसके साथ ही चंद्रचूड़ सिंह का करियर भी अटक गया। कुछ और फिल्में भी उनकी थीं जो रिलीज नहीं हो पाईं और डिब्बाबंद हो गईं। जब ऐसा हाल चंद्रचूड़ सिंह ने देखा तो उनका दिल टूट गया। चंद्रचूड़ सिंह तो आईएएस अफसर बनना चाहते थे और वह UPSC का एग्जाम भी देने की तैयारी कर रहे थे। चूंकि एक्टिंग के ऑफर भी मिल रहे थे और ऐसे में सबकुछ छोड़कर चंद्रचूड़ सिंह एक्टर बनने की लालसा लिए 1988 में मुंबई आ गए थे। उन्हें 1990 में एक फिल्म मिली भी, जिसकी उन्होंने आधे से ज्यादा शूटिंग पूरी कर ली थी। लेकिन वह फिल्म बीच में ही बंद हो गई। इसके बाद फिर पांच साल तक उन्हें कोई फिल्म नहीं मिली।

चंद्रचूड़ सिंह को लगने लगा कि एक्टिंग को करियर के रूप में चुनकर गलती कर दी। यह करियर उनके लिए सही नहीं है। चंद्रचूड़ सिंह ने अपने बातचीत में एक बार बताया था कि बच्चों को पढ़ाने में उन्हें बहुत मजा आता था। अब उन्हें अपने ऊपर डाउट होने लगा था कि कहीं एक्टिंग में आकर उन्होंने गलती तो नहीं कर दिया? चंद्रचूड़ ने सोच लिया था कि उन्हें अगर फिल्म नहीं मिली या हीरो नहीं बन पाए तो वापस जाकर वह स्कूल में पढ़ाने लगेंगे।

एक दिन अचानक ही जया बच्चन के रूप में चंद्रचूड़ सिंह को मौका मिल गया। चंद्रचूड़ सिंह को जया बच्चन ने फिल्म ‘तेरे मेरे सपने’ के स्क्रीन टेस्ट के लिए बुलाया और उनका सिलेक्शन हो गया। चंद्रचूड़ सिंह का उसी फिल्म का ऑडिशन टेप गुलजार साहब ने देखा और उन्हें फिल्म ‘माचिस’ के लिए साइन कर लिया। चंद्रचूड़ सिंह ने 1996 में फिल्म ‘तेरे मेरे सपने’ से डेब्यू करने का मौका मिल गया। अमिताभ बच्चन के प्रोडक्शन हाउस ने इस फिल्म को प्रोड्यूस किया था। उसी साल चंद्रचूड़ सिंह, तब्बू के साथ फिल्म ‘माचिस’ में भी नजर आए। फिल्म ब्लॉकबस्टर रही और चंद्रचूड़ सिंह को इस फिल्म ने चर्चा में ला दिया। चंद्रचूड़ सिंह को इसके लिए फिल्मफेयर का बेस्ट मेल डेब्यू अवॉर्ड भी मिला था। हर तरफ इंडस्ट्री में उनकी चर्चा होने लगी थी।