बिहार में यहां बन रहा है विश्व के सबसे बड़े शिव, सीता-राम और बुद्ध, जानिए- सबकुछ…

बिहार की धरती देवभूमि रही है। राज्य में कुछ ऐसा होने जा रहा है जिसका राज्य के लोगों को लंबे समय से इंतजार था। अब बिहार से एक और नई पहचान जुड़ेगी। दरअसल, अब बिहार की पहचान राम, सीता, शिव और बुद्ध की सबसे बड़ी मूर्ति से भी होगी। इन मूर्तियों की लंबाई कितनी होगी ताकि दुनिया में एक रिकॉर्ड बनाया जा सके। बक्सर में भगवान श्रीराम और सीतामढ़ी में माता सीता, बोधगया में महात्मा बुद्ध, इसके साथ ही पूर्वी चंपारण में विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग स्थापित किया जाएगा।

पूर्वी चंपारण की शिव मूर्ति इतनी फिट : पूर्वी चंपारण के केसरिया कैथवालिया में बन रहे विराट रामायण मंदिर में दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग स्थापित किया जाएगा। शिवलिंग की ऊंचाई के साथ ही गोलाई भी 33 फीट की होगी। करीब 250 मीट्रिक टन वजनी इस शिवलिंग को तमिलनाडु के त्रिचुरापल्ली के पहाड़ी ग्रेनाइट से तैयार किया जा रहा है। शिवलिंग की स्थापना साल 2023 में होगी, लेकिन मंदिर का निर्माण 2024 तक पूरा हो जाएगा।

बोधगया में शयन मुद्रा में मूर्ति : बिहार बोधगया में एक नया इतिहास रचने जा रहा है जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। यहां दुनिया की सबसे बड़ी महात्मा बुद्ध की शयन मुद्रा में मूर्ति तैयार है। बुद्ध की मूर्ति की लंबाई 100 फीट, ऊंचाई 30 फीट और चौड़ाई 24 फीट है। भगवान बुद्ध की यह मूर्ति महापरिनिर्वाण (सोने की मुद्रा) में बनाई जा रही है। माना जाता है कि इस मुद्रा में यह दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा है।

श्री राम की सबसे बड़ी प्रतिमा : बक्सर को विश्वामित्र की नगरी कहा जाता है। यहां भगवान श्री राम ने ताड़का और सुबाहु जैसे कई राक्षसों का वध किया और ऋषियों को मुक्त किया। संतों की इस पवित्र नगरी से ही श्री राम माता सीता के स्वयंवर के लिए गुरु विश्वामित्र के साथ जनकपुर के लिए रवाना हुए थे। बक्सर अब दुनिया की सबसे बड़ी राम मूर्ति के लिए भी जाना जाएगा। यहां 1,000 फीट ऊंची प्रतिमा बनाने की योजना 2024 तक पूरी हो जाएगी।

सीता की 251 फीट ऊंची सीतामढ़ी में मूर्ति : सीतामढ़ी मां जानकी के लिए जाना जाता है। अब इसकी एक और पहचान होगी, वह होगी माता सीता की दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा की। डुमरा में 251 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई जाएगी, जो दुनिया की सबसे बड़ी मूर्तियों में से एक होगी। मूर्ति के लिए ढाई कट्ठा जमीन देकर मोहम्मद निजामुद्दीन मिसाल बन गए हैं। मूर्ति स्थापना में क्षेत्र के सभी धर्मों के लोग सहयोग कर रहे हैं। महिला सशक्तिकरण की मिसाल कही जाने वाली मां जानकी की प्रतिमा क्षेत्र को पर्यटन स्थल बनाएगी।